जिदंगी का सबक एक कहानी
Zindgi ka sabak ek kahani:पटरी पर ट्रेन सरपट दौडी चली जा रही थी, मुसाफिरों से भरी ट्रेन में T.T.E को एक पुराना सा बटुआ (purse) मिला। उसने उस गदें से बटुवे (purse) को खोलकर यह पता लगाने की कोशिश की कि वह किसका है। लेकिन बटुवे (purse) में ऐसा कुछ नहीं था जिससे कोई सुराग मिल सके।Rochak hindi kahaniya
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बटुवे (purse) में कुछ पैसे और प्रभुु श्रीराम की फोटो थी। फिर उस T.T.E ने हवा में बटुआ (purse) हिलाते हुए पूछा -“यह किसका बटुआ (purse) है?”
एक यात्री बोला -“यह मेरा बटुआ (purse) है। इसे कृपया मुझे दे दें।”T.T.E ने कहा -“तुम्हें यह साबित करना होगा कि यह बटुआ (purse) तुम्हारा ही है। केवल तभी मैं यह बटुआ (purse) तुम्हें लौटा सकता हूं।”
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उस बुजुर्ग व्यक्ति मुस्कान के साथ उत्तर दिया -“इसमें प्रभु श्रीराम की फोटो है।
“T.T.E ने कहा -“यह कोई ठोस सबूत नहीं है। किसी भी व्यक्ति के बटुआ (purse) में प्रभुु श्रीराम की फोटो हो सकती है। इसमें क्या खास बात है? rochak hindi kahaniya
बटुआ (purse) में तुम्हारी फोटो क्यों नहीं है?”
बुजुर्ग व्यक्ति गहरी सांस भरते हुए बोला -“मैं तुम्हें बताता हूं कि मेरा फोटो इस बटुआ (purse) में क्यों नहीं है। जब मैं स्कूल में पढता था, तब ये बटुआ (purse) मेरे पापा ने मुझे दिया था। क्योकि पापा उस समय मुझे जेब खर्च के रूप में कुछ पैसे देते थे ।
तब मैंने बटुआ (purse) में अपने मम्मी-पापा की फोटो रखी थी ।
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जब मैं थोडा बडा हुआ तो, मैं अपनी कद-काठी पर बहुत नाज करता था। मैंने बटुआ (purse) में से मम्मी-पापा की फोटो हटाकर अपनी फोटो लगा ली। मैं अपने सुदर और बलिष्ठ शरीर को देखकर बहुत प्रसन्न होता था ।
धीरे-धीरे मेरी शादी हो गयी। मेरी घरवाली बहुत सुंदर थी और मैं उससे बहुत प्यार करता था। तब जवानी मैंने बटुआ (purse) में से अपनी फोटो हटाकर उसकी लगा ली। मैं कई कई घटों तक उसके सुंदरता को निहारा करता था । rochak hindi kahaniya
जब मेरे पहले बच्च्े का जन्म हुआ, तब मेरे जीवन की एक और नई शुरूआत हुई, और मैं अपने बच्चे के साथ खेलने में ज्यादा समय देने लगा और काम पर जल्दी घर आ जाता था । और इसमें काई शक की बात नही कि, अब मेरे बटुआ (purse) में मेरे बच्चे की फोटो आ गयी थी।”
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बुजुर्ग व्यक्ति ने आसूं भरी आँखों के साथ बोलना जारी रखा -“कई वर्ष पहले मेरे मम्मी-पापा को भी देंहात हो गयाा, पिछले साल मेरी धर्मपत्नी भी चल बसी। अब मेरा एकमात्र बेटा अपने परिवार में Busy है।
वह मेरी देखभाल नही कर सकता, जिस बेटे को में बहुत प्यार करता था, अपना खून सीचकर जिसे पाला अब वह मेरे पास नही है। अब मुझसे बहुत दूर अपने परिवार में खो चुका है। अब मैंने प्रभु श्रीराम की फोटो बटुआ (purse) में लगा ली है। अब जाकर मुझे इस बात की सच्चाई मालूम पडी है,कि
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कि प्रभु श्रीराम ही मेरे सच्चे साथी हैं। प्रभु ही हमेशा मेरे साथ रहेंगे। काश मै पहले ही इस सच्चाई को जान लेता तो जैसा प्यार मेने अपने परिवार से किया था यदि ठीक वैसा ही या उससे थोडा बहुत प्यार मैने प्रभु श्रीराम से किया होता तो आज में अपने आपको इतना अकेला,असहाय नही पाता । Rochak hindi kahaniya
उसकी दुख भरी बाते सुनकर T.T.E ने उस बुजुर्ग व्यक्ति को बटुआ (purse) लौटा दिया। और जब गाडी अपने गतंंव्य स्थान पर पहुच गयी, सारे यात्री ट्रेन से उतरकर अपने अपने घरो की और चल दिये ।
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आज अपने घर जाने के रास्ते में चलते समय T.T.E के दिमाग मे बार बार उस बुजुर्ग की बाते ही आ रही थी, और घर पहुंचकर अपनी पत्नी से कहा देखना तो जरा भगवान के पूजा घर में काई भगवान की फोटो है,
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जिसे पर्स मे रखा जा सके , इस पर पत्नी पूजा घर में गई और भगवान की एक फोटो लाकर अपने पति को दे दी। जिसे उसने अपने पर्स में रख लिया।
In opanion:
दोस्तो आपको आज की जिदंगी का सबक एक कहानी कैसी लगी, यदि आपको आज की यह Best Hindi Kahani on “जिदंगी का सबक एक कहानी । sufi fakir ki kahani अच्छी लगी तो इसे आप अपने दोस्तो रिश्तेदारो को शेयर कर सकते है.
अच्छा दोस्तो मिलते है अगली बार किसी ऐसी ही Inspirational Story,Motivational कहानी के साथ,तब तक के लिये Stay happy,नमस्कार.
warms & regards
पॉंजिटव बातें
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