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जानिये सुखी रहने का मूलमंत्र । sukhi rahne ka mantra best hindi story

जानिये सुखी रहने का मूलमंत्र Sukhi rahne ka mantra

एक आदमी पत्थरों को काटने  का काम करता था,लेकिन वह ख़ुद से खुश नही था । उसे लगता था ,यह काम बहुत ही निचले दर्जे का है और वह इससे भी बेहतर कुछ कर सकता है ।उसने पत्थरों को काटने का  काम बंद कर दिया और Job खोजने के लिए निकल पड़ा ।एक दिन वह Job के सिलसिले में एक Businessman से मिलने गया । वहा उसने एक Businessman का घर देखा,घर देखते ही उसके मन में ख्याल आया की काश ! (sukhi rehne ke upay in hindi)

sukhi rahne ka mantra

वह भी एक अमीर Businessman बन पता और उसके पास भी इतना ही बडा बंगला होता । ईश्ववर ने उसकी सुन ली और उसे एक व्यापारी बना दिया ।

दिन बीतते गए और एक दिन राजा का मंत्री राज्य में घूम रहा था। उसने देखा की राजा का एक मंत्री दुसरे Businessman के घर आ रहा हैं । उसके घर पहुचने पर व्यापारी बहुत डर गया और वह मंत्री के आगे घुटने के बल झुक गया ।

जानिये सुखी रहने का मूलमंत्र Sukhi rahne ka mantra

मंत्री कितना शक्तिशाली हैं । उसने सोचा की काश ! भगवान मुझे भी एक मंत्री बना देता और ईश्वर ने एक बार फिर से उसकी सुन ली और उसे मंत्री बना दिया ।

sukhi rahne ka mantra

मंत्री बनाने के बाद उसे लगातार राज्य के दौरे करने पड़ते । एक दिन भरी दोपहरी में जब सूर्यदेवता अपनी पुरी गरमी के साथ चमक रहे थें तब। मंत्री बने आदमी को लगा की सूर्यदेवता ही सबसे ज्यादा शक्तिशाली हैं और उसने सूर्यदेवता बनाने की इच्छा की ।

ईश्वर ने उसे सूर्यदेवता भी बना दिया । सूर्यदेवता बनने के बाद उसने महसूस किया की बादल सूर्यदेवता की किरण को रोक देते हैं उसे लगा की बादल बनकर वह ज्यादा खुश होगा और ईश्वर ने उसे बादल बना दिया ।

तब उसने सोचा की हवा सबसे ज्यादा ताकतवर है। यह बादल को उड़ाकर एक जगह से दूसरे जगह  ले जाती है और आंधी घरो को  भी गिरा सकती है , लेकिन  पर्वत को  डिगा भी  नही सकती।

ने सोंचा काश ! मैं पर्वत होता ! जो सबसे ज्यादा मजबूत है । और ईश्वर ने उसे पर्वत बना दिया ।

sukhi rahne ka mantra

फिर एक दिन पर्वत ने देखा , हथोड़ा और छैनी लिए एक पत्थरों को तराशने वाला व्यक्ति  पर्वत की तरफ चला आ रहा था । शायद वो उसी पर्वत पर मौजूद पत्थरों को अपने छैनी ओर हथोडे से तोडने आ रहा था.

जानिये सुखी रहने का मूलमंत्र Sukhi rahne ka mantra

तब उसने पुन भगवान से प्रार्थना की प्रभु में जैसे पहले था वैसा ही बना दीजिये में उसमें ही खुश रह लूगां अर्थात एक संतुष्ट व्यक्ति ही सुखी व्यक्ति होता है. दोस्तो कहा भी गया है,

                                 जो प्राप्त है वही पर्याप्त है

                                 सुखी रहने का मूलमत्र है.

सीख: दोस्तो आज की यह छोटी सी कहानी जानिये सुखी रहने का मूलमंत्र। Sukhi rahne ka mantra आपको आवश्य पंसद आयी होगी औ साथ ही इस कहानी से आपको खुश रहने का मूलमंत्र हो गया होगा .
                               जो प्राप्त है वही पर्याप्त है 
 
अच्‍छा फिर मिलते हैं दोस्‍तों  आप सब से क‍िसी ऐसे ही  ज्ञानर्वधक टॉपिक के साथ | तब तक के ल‍िये

                          ———Stay happy नमस्‍कार——- 

धन्यवाद

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