सुखी जीवन के उपाय
Sukhi jivan ke upay। सुखी जीवन के उपाय: एक समय गौतम बुद्ध (gautam buddha moral story in hindi) श्रावस्ती के सेठ अनाथपिण्डिक के जेतवनाराम(मठ, monastery)में निवास करते थे।उस समय एक देव (तेजस्वी व्यक्ति) रात्रि के अंतिम पहर में पूरे जेतवन का प्रकाशित करता हुआ भगवान गौतम गौतम बुद्ध (gautam buddha ) के पास पहुचां और उन्हें प्रणाम करने के पश्चात एक कोने में बैठ गये.
उन्होने भगवान गौतम बुद्ध(gautam buddha moral story in hindi) से कहा कि मैने भगवान से बहुत प्रार्थना की, बहुत से देवताओं ओर मुनष्यो ने सुखी जीवन व कल्याण का स्मरण करते हुये मंगल कर्मो के बारे में विचार किया, लेकिन हमें कोई मार्ग नहीं मिल सका है, कृप्या करके हमें वह मंगल कर्म बताने की कृपा करें जिनके करने से जीवन सुखी हो सके।
सुखी जीवन के उपाय । sukhi jivan ke upay
इस पर भगवान गौतम बुद्ध (gautam buddha ) ने कहा है देव ध्यान से सुनों,
मनुष्यो को हमेशा क्षमाशील होना चाहिये। मनुष्यों को उचित समय पर धर्मिक चर्चा करते रहने चाहिये, मनुष्य का जीवन तप पूर्ण होना चाहिए। चारो आर्य सत्य का पालन कर
ना चाहिये व मन निर्वाण की और रखना चाहियें।
भगवान गौतम बुद्ध (gautam buddha moral story in hindi) कहते है कि मनुष्य का मन सुख-दुख,लाभ-हानि,जय-पराजय व यश-अपयश जैसे बातो से विचलित नहीं होना चाहिये। शोक नहीं करना चाहिए। पवित्र व बिना भय के रहना चाहिए।
भगवान गौतम बुद्ध (gautam buddha ) ने इस प्रकार 48 मंगल कर्म बताए हैं। जिनका पालन करने पर मनुष्यों और देवताओं का कल्याण एवं मंगल हो सकता है। आज से लगभग ढाई हजार वर्षपूर्व भगवान गौतम बुद्ध (gautam buddha moral story in hindi) ने बुद्धत्व प्राप्त किया था। उस महाज्ञान में उन्होंने पाया थाकि मनुष्य का जीवन दुखों व तकलीफों से भरा हुआ है।
सुखी जीवन के उपाय । sukhi jivan ke upay
दुख जगत में एक ऐसा सत्य है, जो जीवन के साथ लगा रहता है। दुख के बिना मनुष्य केजीवन की कल्पना करना ही असंभव है।
तीनों कालों में, अस्तित्व में रहने वाले दुख को गौतम बुद्ध (gautam buddha ) ने आर्य सत्य कहा है।इसकी व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा, ‘जन्म भी दुख है, बुढ़ापा भी दुख है, मृत्युभी दुख है, शोक-रुदन, रोना-पीटना, मन की खिन्नता व हैरानी दुख है।
अप्रिय से मिलन, प्रिय से वियोग दुख है। मनुष्य जिसकी इच्छा करता है, वह उसेनहीं पाता -तो दुख है। और जिसकी इच्छा नहीं करता, वह मिल जाए, तो भी दुख है।’
सुखी जीवन के उपाय । Gautam buddha moral story in hindi
इस प्रकार गौतम बुद्ध (gautam buddha ) ने संक्षेप में दुख की व्याख्या की। उन्होंने दूसरे आर्य सत्यमें दुख के कारण, तीसरे में दुख के विनाश और चौथे आर्य सत्य में वह मार्ग बताया है, जिस पर चलकर मनुष्य दुखों का अंत करके निर्वाण प्राप्त कर सकता है। उस मार्ग कोअष्टांगिक मार्ग कहा जाता है।
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Good evening. Aaj mene aapki site pe visit kiya hai. Time nahi milta. Aaj aana hi tha mujhe. Bahot achhi baatein bataye ho aap.
Thanks a million,stay happy Praveen ji,keep with us. Your words give us motivation.