raksha bandhan 2020 story in hindi

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raksha bandhan 2020 story in hindi

raksha bandhan 2020 story in hindi,हेलो दोस्तों  मै उम्मीद करता हूँ, की  आप सबका रक्षा बंधन अच्छे से  मनाया  होगा दोस्तों समय अभाव के कारण  आज पोस्ट लेट से  लिख रहा हु, उम्मीद आपको अच्छी लगेगी.पुनः आपको रक्षा बंधन की शुभकामनाएं।

 

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राखी से जुड़ी कहानियां
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan)भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है. इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया गया है, इस बार रखा बंधन 26 अगस्त 2018 रविवार  को हैैै,जिसके लिए तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं. लोग जमकर शॉपिंग कर रहे हैं. होली, दीवाली की तरह इस त्यौहार को भी भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. भारत में रक्षाबंधन मनाने के कई धार्मिक और ऐतिहासिक कारण है. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं…

वामनअवतार कथा:
असुरों के राजा बलि ने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था. राजा बलि के आधिपत्‍य को देखकर इंद्र देवता घबराकर भगवान विष्‍णु के पास मदद मांगने पहुंचे. भगवान विष्‍णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए. वामन भगवान ने बलि से तीन पग भूमि मांगी. पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया.

 अब तीसरा पग रखने के लिए कुछ बचा नहीं थी तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख दें.भगवान वामन ने ऐसा ही किया. इस तरह देवताओं की चिंता खत्‍म हो गई. वहीं भगवान राजा बलि के दान-धर्म से बहुत प्रसन्‍न हुए. उन्‍होंने राजा बलि से वरदान मांगने को कहा तो बलि ने उनसे पाताल में बसने का वर मांग लिया. बलि की इच्‍छा पूर्ति के लिए भगवान को पाताल जाना पड़ा. भगवान विष्‍णु के पाताल जाने के बाद सभी देवतागण और माता लक्ष्‍मी चिंतित हो गए. 

अपने पति भगवान विष्‍णु को वापस लाने के लिए माता लक्ष्‍मी गरीब स्‍त्री बनकर राजा बलि के पास पहुंची और उन्‍हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी. बदले में भगवान विष्‍णु को पाताल लोक से वापस ले जाने का वचन ले लिया. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी और मान्‍यता है कि तभी से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा.

 
भविष्‍यपुराण के अनुसार :
एक बार देवता और दानवों में 12 सालों तक युद्ध हुआ लेकिन देवता विजयी नहीं हुए. इंद्र हार के डर से दुखी होकर देवगुरु बृहस्पति के पास गए. उनके सुझाव पर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से व्रत करके रक्षा सूत्र  तैयार किए. फिर इंद्राणी ने वह सूत्र इंद्र की दाहिनी कलाई में बांधा और समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई. यह रक्षा विधान श्रवण मास की पूर्णिमा को संपन्न किया गया था.


महाभारत की कथा :

 

महाभारत काल में कृष्ण और द्रौपदी का एक वृत्तांत मिलता है. जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई. द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी

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फाड़कर उसे उनकी अंगुली पर पट्टी की तरह बांध दिया. यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था. श्रीकृष्ण ने बाद में द्रौपदी के चीर-हरण के समय उनकी लाज बचाकर भाई का धर्म निभाया था.
ऐतिहासिक कारण:


सिकंदर और पुरू की कथा:
सिकंदर की पत्नी ने पति के हिंदू शत्रु पुरूवास यानी कि राजा पोरस को राखी बांध कर अपना मुंहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया. पुरूवास ने युद्ध के दौरान सिकंदर को जीवनदान दिया. यही नहीं सिकंदर और पोरस ने युद्ध से पहले रक्षा-सूत्र की अदला-बदली की थी. युद्ध के दौरान पोरस ने जब सिकंदर पर घातक प्रहार के लिए हाथ उठाया तो रक्षा-सूत्र को देखकर उसके हाथ रुक गए और वह बंदी बना लिया गया. सिकंदर ने भी पोरस के रक्षा-सूत्र की लाज रखते हुए उसका राज्य वापस लौटा दिया

बादशाह हुमायूं और कमर्वती की कथा:
मुगल काल में बादशाह हुमायूं चितौड़ पर आक्रमण करने  के लिए आगे बढ़ रहा था. ऐसे में राणा सांगा की विधवा कर्मवती ने हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा वचन ले लिया. फिर क्‍या था हुमायूं ने चितौड़ पर आक्रमण नहीं किया. यही नहीं आगे चलकर उसी राख की खातिर हुमायूं ने चितौड़ की रक्षा के लिए बहादुरशाह के विरूद्ध लड़ते हुए कर्मवती और उसके राज्‍य की रक्षा की.
 
 
 
 

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