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घंमडी राजा की कहानी। Raja ki kahani । Monk aur Raja। ghamandi raja ki kahani in hindi best one

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1 नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको एक ‘घंमडी राजा की कहानी’ (Raja ki kahani) बताने जा रहे हैं। इस कहानी में बताया गया कि कैसे अहंकार और घंमड में चूर एक राजा अपने नागरिकों पर अत्याचार ही अत्याचार किए जा रहा था। फिर उसे साधु ने जीवन का अर्थ समझाया। तब जाकर कहीं उसका अहंकार समाप्त हुआ। आइए आपको बताते हैं क्या थी उस ghamandi raja ki kahani in hindi.
1.3 घंमडी राजा की कहानी। Monk aur Raja

घंमडी राजा की कहानी। Raja ki kahani

 नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको एक ‘घंमडी राजा की कहानी’ (Raja ki kahani) बताने जा रहे हैं। इस कहानी में बताया गया कि कैसे अहंकार और घंमड में चूर एक राजा अपने नागरिकों पर अत्याचार ही अत्याचार किए जा रहा था। फिर उसे साधु ने जीवन का अर्थ समझाया। तब जाकर कहीं उसका अहंकार समाप्त हुआ। आइए आपको बताते हैं क्या थी उस ghamandi raja ki kahani in hindi.

Raja-ki-kahani

एक नगर में एक राजा (Raja) रहा करता था। राजा ने बल पूर्वक अपने आसपास के बहुत से नगरों पर कब्जा कर लिया था। इससे राजा बहुत घंमडी हो गया था। उसे ऐसा लगता था कि पूरे संसार में सबसे शाक्तिशाली सिर्फ वही है। इसी घंमड में चूर होकर राजा अपने नगर में रह रहे लोगों पर खूब अत्याचार किया करता था।

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पहले तो उनसे खूब कर वसूलता और बाद में उन्हें किसी तरह की कोई सुख सुविधा भी नहीं देता था। यदि नगर का कोई भी व्यक्ति राजा (Raja) के पास शिकायत लेकर आता, तो राजा उसे भी नहीं बख्सता था। अपने सैनिकों के हाथों उसे भी सजा का भोगी बनाता था। जिसके डर से सभी लोग चुपचाप ‘कर’ देते रहते थे और किसी तरह की शिकायत भी नहीं करते थे।

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इसी कढ़ी में एक दिन राजा (Raja ki kahani ) ने अपने सैनिकों से कर वसूलने के लिए सैनिकों को अपने नगर में भेजा। सैनिकों ने राजा के आदेश का पालन करते हुए नगर की तरफ रवाना हो गए। तभी सैनिकों को को रास्ते में एक आदमी आता हुआ मिला। आदमी को देखते ही सैनिकों ने उससे कर देने की बात कही।

सैनिकों की बात सुनकर व्यक्ति ने कर देने से मना कर दिया। उस व्यक्ति ने सैनिकों से कहा कि उसकी तो किसी तरह की आमदनी ही नहीं है, ऐसे में भला वो इतना ज्यादा ‘कर’ कैसे कर दे सकता है। तमाम मिन्नतों के बाद भी उस व्यक्ति से सैनिक कर वसूलने की जिद्द पर अडे रहे। लेकिन उस व्यक्ति ने सैनिकों को किसी भी तरह का कर नहीं दिया।

घंमडी राजा की कहानी। ghamandi raja ki kahani in hindi

अंत में सैनिकों ने सोचा कि इस व्यक्ति को राजा के पास ले जाया जाए। इसे राजा ही सजा देंगे तभी ये ‘कर’ देगा। इसके बाद उस व्यक्ति को सैनिक पकड़ कर राजा के पास ले आए। राजा (King)के सामने उस व्यक्ति को पेश करते ही सैनिकों ने कहा कि राजा ये नगर का एक व्यक्ति है, जो हमें ‘कर’ देने से मना कर रहा है।

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सैनिकों की बात रखते ही उस व्यक्ति ने भी राजा (Raja ki kahani ) के सामने मिन्नते करनी शुरू कर दी। व्यक्ति बार बार राजा से यही कहे जा रहा था कि वो कर देने में समर्थ नहीं है, उसके पास किसी तरह की कोई आमदनी का जरिया नहीं है। जैसे ही उसकी आमदनी शुरू होगी वो भी राजा को अवश्य ‘कर’ देना प्रारंभ कर देगा।

लेकिन राजा ने उसकी कोई बात नहीं सुनी। राजा ने तुरंत सैनिकों को आदेश दे दिया कि इसे ले जाकर कारागार में बंद कर दो। कल इसकी सजा हम खुद सुनाएंगे।

घंमडी राजा की कहानी। Monk aur Raja

 इसी बीच राजा के महल में एक साधु (Monk)पधार जाते हैं। साधु महाराज बड़े ही सज्जन व्यक्ति होते हैं। उन्होंने देखा कि किस तरह से इस व्यक्ति पर राजा के द्वारा अत्याचार किया जा रहा है। जबकि वो कर देने में समर्थ भी नहीं है। साधु महाराज (Monk aur Raja)  से ये सब देखा नहीं गया और राजा से पूछ बैठे कि राजा आप क्यों इस व्यक्ति पर इतना अत्याचार कर रहे हो।

इस बात से राजा गुस्से से लाल हो गए और कहा कि अगर तुम ज्यादा सवाल जवाब करोगे तो तुम्हें भी मैं सजा सुना दूंगा। फिर तुम भी उसी व्यक्ति के साथ कारागार में बंद कर दिए जाओगे। राजा ने अपना घंमड दिखाते हुए कहा कि इस नगर का राजा हूं मैं, मैंने बल पूर्वक कई नगर जीत लिए हैं। इसलिए मैं इतना शाक्तिशाली हूं कि जो चाहे वो करूं।

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राजा की बात सुनने के बाद साधु महाराज (Monk aur Raja) ने कहा कि यदि आप इतने ही शाक्तिशाली हो तो मेरे एक सवाल का जवाब दो। इससे तुम्हें स्वंय पता लग जाएगा कि तुम कितने शाक्तिशाली हो। तो राजा ने कहा पूछो क्या सवाल है तुम्हारा।

  घंमडी राजा की कहानी। Monk aur Raja

साधु महाराज (Monk aur Raja) ने सवाल पूछते हुए कहा कि यदि तुम्हें किसी जंगल में छोड़ दिया जाए तो सबसे पहले तुम किस चीज की तलाश करोगे। राजा ने सवाल सुनते ही कहा सबसे पहले मैं भोजन की तलाश करूंगा। इस पर साधु महाराज ने कहा कि यदि तुम्हें भोजन ना मिले तो क्या दे सकते हो। राजा ने कहा वो अपने नगर का आधा राजपाट दे सकता है। लेकिन साधु ने कहा कि यदि फिर भी भोजन ना मिले तो, फिर राजा ने कहा कि वो अपना पूरा नगर भी उसे दे सकता है।

इस पर साधु महाराज (Monk aur Raja) ने कहा कि जिस नगर पर तुम अभी इतना घमंड कर रहे थे, उसे महज भोजन के बदले दे दोगे। साधु की बात सुनते ही राजा को समझ आ गया कि ये नगर, राज पाट सब मोहमाया है। हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। तभी राजा ने साधु (Monk aur Raja) से हाथ जोड़कर अपने घमंड के लिए माफी मांगी और ‘कर’ ना देने के चलते बंदी बनाए गए व्यक्ति को छोड़ने का आदेश दे दिया।

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हमें कभी घमंड नहीं करना चाहिए

 इस Raja ki kahani के माध्यम से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। हमारे पास कितनी भी संपत्ति, राज पाट हो। उस पर कभी अहंकार की भावना नहीं रखनी चाहिए। कभी भी अपने से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों को अपनी शाक्ति के बल पर परेशान नहीं करना चाहिए। ये जीवन केवल एक मोहमाया है।

दोस्‍तो आपको आपको आज की घंमडी राजा की कहानी। Raja ki kahani कैसी लगी, हमें अपने कमेंट और सुझावों के माध्‍यम से  जरुर बताये | अच्‍छा फिर मिलते हैं दोस्‍तों  आप सब से क‍िसी ऐसे ही  ज्ञानर्वधक टॉपिक के साथ | तब तक के ल‍िये

                       

———Stay happy नमस्‍कार——- 

धन्यवाद

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