Home Short Motivational Story In Hindi नेकी का बदला । naki ka badla moral 1 । best moral...

नेकी का बदला । naki ka badla moral 1 । best moral stories for kids in hindi

                                                 नेकी का बदला

नेकी का बदला । naki ka badla : एक दिन कबीर जी की संगत में नेकी की चर्चा चल रही थी। श्री हरीदास ने कहा: कि महाराज जी ! आप फरमाते हो कि गैरो  से भी नेकी करना अपने साथ नेकी करना है। क्या यही कर्मयोग का आर्दश है। कबीर जी ने कहा: बेशक ही ! यह आर्दश योग है नेकी का फल हमेशा नेकी के रूप में ही मिलता है। इस पर मुक्ता मुनी ने कहा: कि महाराज जी ! इस सच्चाई को कोई मिसाल देकर समझाओ।                                                                                                                                                                               

naki ka badla

कबीर जी ने कहा: कि अच्छा तो सुनो ! अफ्रीका की बात है। जिसके वन में बाघ भारी गिनती में होते हैं। जिस समय की यह बात है उस समय उस देश में अमीर आदमियों के पास बहुत सारे गुलाम (Servant) होते थे। 

एक-एक अमीर आदमी के पास लगभग 15-15 या 30-30 या इससे भी अधिक। इन गुलामों की हालत पशुओं से किसी भी तरह अच्छी नहीं होती थी। उनसे पशुओं की तरह काम लिया जाता था और पशुओं की तरह ही खाने को दिया जाता था। दुखी होकर यदि कोई गुलाम (Servant) भाग जाता और फिर पकड़ा जाता तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था। 

नेकी का बदला । naki ka badla

उसे मोटे रस्से से बंधकर बनाकर वन में फैंक दिया जाता था और बाघ आकर उसे खा जाता था। जो भी इस प्रकार से मोटे रस्से से बंधकर बनाकर वन में फैंका जाता था वह कभी भी बाघ से बच नहीं पाया।                                                                                                                                                                                

एक बार की बात है, सोहन नाम का एक गुलाम (Servant) अपने मालिक के अत्याचारों से छुटकारा हासिल करने के लिए भाग निकला और दूसरे राज्य की और दौड़ा। 

naki ka badla

रास्ते में भयानक वन पड़ता था जब वह उस वन में से निकल रहा था तो उसने एक बाघ को पेड़ के नीचे तड़पते हुए देखा। सोहन को उस पर तरस आ गया। 

बाघ उसकी तरफ इस प्रकार से देख रहा था जैसे बिल्ली बनकर उससे रहम की भीख माँग रहा हो।

सोहन निडर बनकर उसके करीब चला गया। उसने देखा बाघ के अगले दोनों पँजों में बड़े-बड़े काँटें घुसे हुए हैं और इस कारण वह चलने के योग्य नहीं रहा और पीड़ा के कारण उसकी जान निकल रही थी, सोहन ने अपने सिर की पगड़ी निकालकर उस बाघ के पँजे साफ किये और फिर बारी-बारी से पँजों में से सारे काँटे निकाल दिए। 

नेकी का बदला । naki ka badla

काँटें निकालने से बाघ की पीड़ा भी कम हो गई और वह चलने योग्य भी हो गया। उसने सोहन की और धन्यवाद भरी नजरों से देखा और वन में फिर एक तरफ चला गया।

सोहन बाघ के साथ नेकी करके वन पार करके दूसरे राज्य की और चल दिया। परन्तु उसका मालिक बहुत सारें गुलामों को लेकर आ गया और पीछा करते हुए सोहन को पकड़ लिया और उसे मौत की सजा सुनाते हुए मोटे रस्से से बंधकर बनाकर वन में डाल दिया।वहाँ पर वो ही बाघ जिसके पैरों में से सोहन ने काँटे निकाले थे।

गरजता हुआ वहाँ पर पहुँच गया। काँटों के कारण वह पिछले दो दिनों से कोई भी शिकार नहीं कर पाया था और भूख से उसकी जान निकल रही थी।

naki ka badla

वह जल्दी से सोहन का शिकार करने के लिए आगे बड़ा। परन्तु जब उसने सोहन को देखा तो उसने उसे पहचान लिया कि यह तो वही है, जिसने मेरे पँजों में से काँटे निकाले थे।

नेकी का बदला । moral stories for kids in hindi

बाघ ने अपने तीखे दाँतों से सोहन के रस्सी से बँधे हुए बँधन काट डाले। सोहन जब बँधनों से आजाद हो गया तो बाघ इस प्रकार से अपना सिर उसकी गोदी में रखकर बैठ गया जिस प्रकार किसी अति निकटवर्ती स्नेही का स्वागत किया जाता है।

सोहन ने भी उस बाघ को पहचान लिया कि यह वही बाघ है जिसके पँजों में से उसने काँटें निकाले थे। वह समझ गया कि यह दुशमन नहीं दोस्त है और वह उसको प्यार करने लगा। फिर बाघ उठ खड़ा हुआ और सोहन के चोले का पल्ला पकड़कर उठाया और बैठकर अपनी पीठ पर बैठने के लिए ईशारा किया। 

सोहन समझ गया कि वह उसे अपनी पीठ की सवारी करने के लिए कह रहा है। वह उसकी पीठ पर बैठ गया। बाघ उसको वन के पार ले गया और उसको उस राज्य की सीमाओं से बाहर छोड़ आया, जिसमें सोहन का अत्याचारी मालिक रहता था।

नेकी का बदला । moral stories for kids in hindi

कबीर जी ने मुक्ता मुनी को यह साखी सुनाकर कहा: भक्त जनों ! देखों नेकी को खूँखार जानवर भी नहीं भूलते और उसका बदला जरूर देते हैं। इसलिए यह समझ लो कि किसी के साथ भी की गई नेकी कभी अकारथ नही जाती उसका फल जरूर मिलता है।

 

naki ka badla

नेकी कीती कभी भी, नहीं अकारथ जाइ ।।

कह कबीरा नेकीआं ते मिठा फल खाइ ।।

In Opanion:   दोस्‍तो आपको आज की यह Post  नेकी का बदला । naki ka badla कैसी लगी, क्‍या आपने इस नेकी का बदला । naki ka badla से कुछ Moral प्राप्‍त किया यदि हां,  तो आप Comment Box  के माध्‍यम से आपने अनुभव पाठको के साथ जरूर शेयर करें.

अच्‍छा दोस्‍तो म‍िलते है अगली बार क‍िसी ऐसी ही Inspirational Story,Motivational कहानी के साथ,तब तक के ल‍िये Stay happy,नमस्‍कार,जय हिंद.

warms & regards 

पॉंजिटव बातें 

Recommend for You : 

  1. +Thinking In Hindi  : जिम रॉन अनमोल व‍िचार
  2. Inspiring  Story : गुरू (guru) शि‍ष्‍य और चावल की Best कहानी 
  3. Heart Touching Story :मॉं की ममता कहानी
  4. Happiness kaise Prapt kre : असली ख़ुशी क्या है

Readers Choice:

Best Of PositiveBate:

YouTube    :  PositiveBate

 Blog          :  Positivebate.com

 E-mail       :  Positivebate@gmail.com

Instagram  :  Positivebate18