मेहनत की गाढ़ी कमाई- Popular mehnat ki kamai hindi story

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मेहनत की कमाई

mehnat ki kamai 

mehnat ki kamai, मेहनत की कमाई: एक बडे शहर में एक प्रसद्धि व्‍यापारी (Businessman) रहा करता था. व्‍यापारी (Businessman) को व्‍यपार विरासत में म‍िला था. उसने अपनी लगन,मेहनत और काबिल‍ियत के बल अपने व्‍यापार को बहुत अधिक फैला ल‍िया था. उसकी मेहनत की कमाई (mehnat ki kamai) के रूप में उसके घर में सब कुछ था. सुदरं सुशील घरवाली, लक्‍जरी गाड़ी, बड़ा बंगला, नौकर-चाकर आदि.

                   

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व्‍यापारी (Businessman) की तरक्‍की देख कर उसके साथा व्‍यापार करने वाले लोग उससे जलते थें.वो सोचते थें क‍ि इसने कैसे अपना व्‍यापार इतना बड़ा कर ल‍िया. व्‍यापारी (Businessman) जब कभी भी अपने व्‍यापर को देखता था तो उसे अपने ऊपर गर्व होता था आखिर हो भी क्‍यो ना आखिरकार वह उसकी मेहनत की कमाई (mehnat ki kamai) थी.

इतना सब कुछ होते हुये उसकी व उसकी घरवाली के मन में एक दुख था. ज‍िस कारण इतना सब कछ होते हुये भी वह अपने आप को अकेला महसूस करते थे. उनके दुख के कारण था….

उनकी शादी को काफी समय गुजरने के बाद उनके कोई संतान नहीं नहीं थी. काफी मंदिर,सिद्धिपीठ के यहाँ माथा भी टेककर आ गये थें. व्‍यापारी (Businessman) की पत्‍नी काफी धार्मिक थी और हमेशा भागवान से यही प्रार्थना करती थी क‍ि  है भगवान हमें सूनी गोद भर दे.

कहा जाता है क‍ि ऊपर वाले के यहाँ देर हे अधेर नहीं

कुछ समय बाद ईश्‍वर ने उनकी सुन ली और उनके घर एक लडके का जन्‍म हुआ.

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धीरे-धीरे व्‍यापारी (Businessman) का लड़का बड़ा होने लगा और हाई-स्‍कूल में पहुच गया यही पर गडबड होनी शुरू हो गयी. यहाँ उसकी दोस्‍ती कुछ आवारा लडको  के साथ हो गयी.

लड़का गलत संगत में पडकर ब‍िगड गया और बहुत ज्‍यादा फ‍जूलखर्ची करने लगा . उसके दोस्‍त समय समय पर कहते थें क‍ि तेरे पिताजी के पास बहुत पैसे है. तुझे पढने की क्‍या जरूरत है.यह सुनकर उसे क‍ि उसके पिता के पास  बहुत पैसा है. उसे दोस्‍तो की बात पर भरोसा नहीं हुआ और जब उसने अपनी ऑखों से देखा क‍ि उसके पापा शहर के बडे व्‍यापारी (Businessman) है तो .

उसे घमंड हो गया था। दिनभर अपने आवारा दोस्तों के साथ घूमना फिरना ही उसे अच्छा लगता था। जैसे-जैसे वह बडा हुआ पैसे खर्च करने की आदत बढती गयी और वह अपने दोस्तों के कहने पर पानी की तरह पैसा बहाने लगा.

जब उसके पापा ने देखा क‍ि मेरी मेहनत की कमाई (mehnat ki kamai ) मेरे लड़का ऐसे गंवा रहा है यह देख व्‍यापरी को चिंता होने लगी। उसकी इच्छा थी कि उसका बेटा बड़ा हो कर उसका सारा व्‍यापार संभाले और वह अपनी पत्नी के साथ  चार धााम की यात्रा पर  निकल जाये।

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 एक दिन व्‍यापरी  ने लड़के को बुलाया…और गुस्‍से में डॉंट लगाई और कहा   घर से बाहर जा कर शाम होने तक एक रुपया भी कमाई करके लाओगे तभी रात का खाना मिलेगा।”वह डर गया और रोने लग गया।

उसे रोता देख मां की ममता आड़े आ गयी। मां ने उसे एक रूपया निकालकर दिया और कहा जा दे आ । शाम को जब साहूकार ने पूछा तो उसने वह एक रूपया दिखाया। पिता ने वह रूपया उसे झील(उनक घर के पास में थी ) में फेंकने के लिये कहा।

बिना हिचकिचाहट वह रूपया उसने झील में फेंक दिया। इस तरह रोज वह अपने माँ से पैसे लेता और पापा को जाकर देता और फिर व्‍यापारी (Businessman) उसे वह रुपया झील(उनक घर के पास में थी ) में फेक देने को कहता तो वह झील में फ़ेंक देता।

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 व्‍यापारी (Businessman) बहुत चतुर था ,वह जनता था कि दाल में कुछ काला है। उसने सारी बात पता लगा अपनी पत्नी को कुछ दिनों के लिए मायके भेज दिया । उसका बेटा तो अब फँस चुका था । वह सारा दिन सोचता रहा। मेहनत करके (mehnat ki kamai )  पैसे कमाने के अलावा कोई हल नजर नहीं आ रहा था।

खुश रहने के 30 मंत्र। Khush rahne ka 30 mantra

भूख भी लगने लगी थी। रात का खाना बिना कमाई के मिलने वाला था नहीं। आखिरकार वह काम ढूंढ़ने निकल पडा। पीठ पर बोझा उठाकर दो घंटे मेहनत करने के बाद (mehnat ki kamai)  उसे एक रूपया नसीब हुआ।वह रूपया लेकर पिता को देने घर पहूँचा।

व्‍यापारी (Businessman) ने पहले के भांति उसको वह (mehnat ki kamai) मेहनत की कमाई कूएँ में फेंकने के लिये कहा। इस पर वह छटपटाया।

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उसने अपने पिता से कहा ”आज मैंने कितना मेहनत किया है, ये मेरी mehnat ki kamai  (मेहनत की कमाई) हैैै,,मेरा कितना पसीना बहा है एक रूपया कमाने के लिये। इसे मैं नहीं फेंक सकता।” जैसे ही ये शब्द उसके मुह से निकले, व्‍यापारी (Businessman) खुश हुआ उसे कुछ कहने की जरूरत नहीं पडी।

अब उसके बेटे को ((mehnat ki kamai) )मेहनत की कमाई पता चल गयी थी। चल गया. मेहनत पसीने से की गयी कमाई ही खरी कमाई (mehnat ki kamai) है।

दोस्‍तो इस संसार रूपी विष-वृक्ष पर दो अमृत के समान मीठे फल लगते है। एक मधुर और दूसरा सत्संगति। मधुर बोलने और अच्छे लोगो की संगति करने से विष-वृक्ष का प्रभाव नष्ट हो जाता है और उसका कल्याण हो जाता है।

 

श्री द‍िनेश कुमार  जी भोपाल (मध्‍य प्रदेश ) में के रहने वाले है. और अपनी सर्विस के साथ -साथ ,इन्‍हे कविताऐ,कहानीयां ल‍िखने का शौक है. पॉंजिटव बातें टीम की तरफ की तरफ से श्री द‍िनेश कुमार जी  का  बहुत-बहुत हार्दिक धन्‍यवाद.

हमारे पाठक 

दिनेश कुमार 

भोपाल 

 

अच्‍छा दोस्‍तो म‍िलते है अगली बार क‍िसी ऐसी ही Inspirational Story,Motivational कहानी के साथ,तब तक के ल‍िये Stay happy,नमस्‍कार,जय हिंद.

 

warms & regards 

पॉंजिटव बातें 

 

 

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Aditya singh
Aditya singh
4 years ago

Nice artical