Contents show
लालच का फल। lalch ka fal
दोस्तों आज हम आपके सम्मुख एक ब्राहाण,शेर व दुकानदार की कहानी लेकर आए है, इस कहानी में लालच के कारण (lalch ka fal)दुकानदार साथ क्या हुआ बताया गया है। कि किस प्रकार दुकनदार को lalch ka fal भारी पड गया
दोस्तो स्वागत है आपका,
अपने Blog पॉजिटव बातें पर जहॉं पर हमारा सदैव प्रयास रहता है कि अपने पाठकों से नयी व ज्ञानवर्धक बातें शेयर की जाऐ, जिसके परिणामस्वरूप जिदंगी में सकारात्मक बदलवा आये।
लालच का फल। lalch ka fal
बहुत पुराने समय की बात है। एक ब्राह्मण यजमानों के घरों में पूजा-पाठ कराकर अपनी गृहस्थी चलाता था। दुर्भाग्य से देश में अकाल पड़ गया। अब ब्राह्मण को रोजी का संकट खड़ा हो गया। ब्राह्मण के अंदर स्वभावत लेस मात्र भी लालच (Lalach) नही था। उस कारण उसने लालच (Lalach) के वशीभूत होकर अपनी जीविका के लिये दूसरे साधन नही चुने।ब्राह्मण ने सोचा, ऐसे जीवन से तो मृत्यु भली है। वह मरने के लिए जंगल में गया।
वहां उसने एक शेर को आते देख मन में विचार किया- ‘यह शेर मुझे अपना आहार बना ले, तो इसकी भूख मिट जाएगी और मेरी मृत्यु की कामना भी पूर्ण हो जाएगी।’ वह शेर के सामने खड़ा हो गया।
अपने असली रूप में आकर उन्होंने ब्राह्मण को हजार अशर्फियां दीं और भविष्य में कभी आत्महत्या न करने की समझाइश भी दी।
लालच का फल (lalch ka parinaam):
ब्राह्मण प्रसन्न मन लौटा। अगले दिन जब वह एक अशर्फी लेकर सामान खरीदने गया, तो दुकानदार को उस पर शक हुआ।वह दुकानदार लालची (Lalach) प्रवृति (lalch ka fal) का था ,और उसके इस लालच के कारण वह गॉंव में बदनाम था।
उसने पूछा- ‘तुम्हें यह अशर्फी कहां से मिली?’ ब्राह्मण ने पूरी कहानी सच-सच बता दी। दुकानदार के मन में लालच (Lalach)आ गया, दोस्तों जब किसी इंसान के मन में लालच (lalch ka fal) आ जाता है तो वह उसके परिणाम,फल के बारे में लापरवाह हो जाता है। लालची (Lalach)दुकानदार ने भी ऐसा करने की ठानी। लालच (lalch ka fal) के कारण प्राप्त होने वाले फल से लालची (lalch ka fal) दुकानदार बेपरवाह हो गया और सोने की अशर्फियां लेने के लालयित होकर जंगल की तरफ चला गया।
तनाव से मुक्ति के लिए अवश्य पढेंं:-
शेर के आने पर उसने भी ब्राह्मण जैसी स्वयं को खा लेने की प्रार्थना की। शेर के कारण पूछने पर वही गरीबी की कहानी ज्यों की त्यों दोहराई।
शेर समझ गया कि वह झूठ बोलकर धन पाना चाहता है। तब वन देवता रूपी उस शेर ने दुकानदार पर हमला कर उसे घायल कर दिया और फिर कहा- ‘आज तुझे जीवित छोड़ रहा हूं। ताकि भविष्य में कभी तू लालच (lalch ka fal) न करे।’ दुकानदार पछताता हुआ लौट आया।
दुकानदार को लालच (lalch ka fal) का परिणाम मिल गया था,वस्तुत: लालच का दुष्परिणाम,फल भुगतना ही पड़ता है। अत: कोई भी कार्य करने से पूर्व उसके संभावित परिणाम के बारे में विचार जरूर कर लेना चाहियें। जिससे बाद में पछताना ना पढें।
Warms
PositiveBate
Readers Choice:
दोस्तो यह लेख आपको कैसे लगे यदि यह लेख आपको अच्दे लगे तो आप इन कहानी,लेख,हिंदी विचारों को Shareकर सकते है।
इसके अतिरिक्त आप अपना सुझाव (comment) दे सकते है और हमे E-mailभी कर सकते है।
यदि आपके पास भी आपके पास कोई अनुभव,शिक्षा, या मोटिवेशन से संबधित किसी भी तरह से कोई भी ज्ञानवर्धक बातें,कहानी,कविता या अन्य जानकारी है,और यदि आप चाहते है कि आपकी लेख,कहानी,अनुभवसे भी से हमारे सभी हिंदी भाषी Readers लाभ प्राप्त करें, कृपया उसे अपनी फोटो या बिना फोटो (जैसे आप उचित समझे) के साथ हमें Mail करें।
हमारी E-mail:- Positivebate@gmail.com यदि आपकी Post, Artical हमारे टीम को पंसद आने पर आपके इस ब्लालॉं पर Publish की जॉंएगी ।
पॉजिटव बाते अपनेMailपरप्राप्तकरने के लिये Subscribeकरें आैर Bell Icons को follow करें।
Thanks
YouTube : Positivebate
Blog : positivebate.com
E-mail : positivebate@gmail.com
Instagram : Positivebate18