श्री कृष्ण जन्मअष्टमी । Krishna Janmashtami 2023। Krishna janmashtami story in hindi best

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   श्री कृष्ण जन्मअष्टमी 2023 krishna janmashtami 2023

हैलेा दोस्‍तो नमस्‍कार कैसे है नमस्कार,कैसे है आप सभी उम्‍मीद है क‍ि सब अच्‍छे होगे,स्‍वागत है आप सभी को आपके अपने ब्‍लॉंग पाॅंंजटिव बाते positivebate.com पर,  देशभर में आपने जन्मअष्टमी (Janmashtami) की धूम तो हर साल देखी ही होगी। जन्मअष्टमी का त्यौहार केवल भारत ही बाल्कि, दुनिया के कई देशों जहां जहां भारतीय रहते हैं, बड़े धूमधाम से मनाया जाया है।

इस दिन देशभर के सभी मंदिरों को बड़े ही अच्छे ढंग से सजाया जाता है, साथ ही इस दिन मंदिरों में तमाम तरह की झांकियां भी दिखाई जाती हैं। जिन्हें लोग देर रात तक देखने आते हैं। आज हम अपने इस लेख में आपको krishna janmashtami 2023 के बारे में बताने जा रहे है, साथ ही Janmashtami vrat kaise kare से जुड़ी तमाम जानकारियां देने जा रहे हैं। तो चलिए सबसे आपको बताते हैं कि krishna janmashtami 2023 किस दिन है। साथ ही इससे जुड़ी तमाम जानकारियां।

 

कृष्ण जन्माष्टमी 2023 तिथि बुधवार, 6 सितम्बर
निशिता पूजा समय23:57 से 00:42, 07 सितंबर
दही हांडी गुरुवार, 7 सितंबर 2023
पारण का समय16:14 के बाद, 07 सितम्बर
इस्कॉन जन्माष्टमी तिथिगुरुवार, 7 सितंबर 2023
निशिता पूजा समय23:56 से 00:42, 08 सितंबर
अवधि00 घंटे 46 मिनट
अष्टमी तिथि प्रारम्भ06  सितम्बर 2023 को 03:37 PM बजे
अष्टमी तिथि समाप्त07 सितम्बर 2023 को 04:14 PM बजे
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ06 सितम्बर 2023 को 09:20 A.M. बजे
रोहिणी नक्षत्र समाप्त07 सितम्बर 2023 को 10:25 AM  बजे
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krishna janmashtami 2023

krishna janmashtami 2023 कब है? मान्यता है कि इस दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए भाद्रपद की अष्टमी को हर वर्ष श्री कृष्ण (shri krishna) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस साल Janmashtami vrat kaise kare के रूप में 30 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन मंदिरों में श्री कृष्ण भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही उन्हें पालने में बैठाकर झूला भी झूलाया जाता है। आइए आपको krishna janmashtami 2023 के शुभ मुहुर्त के बारे में भी बताते हैं।

Janmashtami vrat kaise kare की पूजा कैसे करें? जन्मअष्टमी (Janmashtami) के दिन श्री कृष्ण भगवान की पूजा की जाती है। जिसकी एक निश्चित विधि होती है। 

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Janmashtami vrat kaise kare

आइए अब आपको Janmashtami vrat kaise kare की पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

इस दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की ही पूजा की जाती हैं, इसलिए पूजा स्थल पर सबसे पहले श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की मूर्ति अवश्य रख लें। साथ ही संभव हो इस दिन उपवास भी रखने की कोशिश करें।

 

पूजा की शुरूआत करने से पहले पूजा करने वाले व्यक्ति को स्नान करना चाहिए। इसके बाद श्री कृष्ण भगवान को गंगाजल से स्नान करवाना चाहिए, साथ ही भगवान को पंचाअमृत का भोग भी लगवाना चाहिए।

जन्‍माष्‍टमी व्रत । Janmashtami vrat kaise kare

इस विधि के बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाने चाहिए और उनका अच्छे तरीके से श्रृंगार करें। साथ ही भगवान को मिठाई, फल के साथ उनकी प्रिय चीजों से उनका भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद फिर से उनके ऊपर गंगाजल अर्पित करें। इसके बाद श्री कृष्ण भगवान को खुश करने के लिए कृष्ण आरती का गान करें। कृष्ण आरती यदि आपके पास मौजूद ना हो तो आप इंटरनेट से पढ़कर भी कह सकती हैं।

● भगवान श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी मान्यता । Krishna janmashtami story in hindi

भगवान श्री कृष्ण (shri krishna) को भगवान का स्वरूप इसलिए माना जाता हैं, क्योंकि उन्होंने कंस का वध किया था। जिसने पृथ्वी पर अत्याचार की सारी सीमाएं पार कर दी थी। आइए आपको बताते हैं कि आखिर भगवान श्री कृष्ण का जन्म कब हुआ था और उनके जन्मदिवस पर क्या मान्यता है। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था उस दौरान मथुरा का राजा भोजवंशी राजा उग्रसेन हुआ करते थे। लेकिन उनके पुत्र कंस ने उन्हें बलपूर्वक गद्दी से उतार दिया था और खुद को मथुरा का राजा घोषित कर दिया था। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नाम के यदुवंशी सरदार से हुआ था।

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Krishna janmashtami story in hindi

एक बार जब कंस अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल छोड़ने जा रहा था, तो उसी समय भविष्यवाणी हुई कि हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा ऐसा सुनते ही कंस ने देवकी के पति वसुदेव को मारना चाहा, ताकि देवकी कभी मां ना बने। लेकिन कंस की बहन देवकी ने ऐसा करने से कंस को रोक लिया। उसने कहा किmबहनोई को मत मारिए, मैं अपनी सभी संतान पैदा होते ही आपके हवाले कर दूंगी। आप उसे मार देना।

कंस ने बहन की कही इस बात को मान लिया और गुस्सा शांत कर लिया। लेकिन कंस ने इसके बाद देवकी और वसुदेव को कारागार में बंद कर दिया। ताकि वो हमेशा उसके पहरेदारों की निगरानी में रहें। इसके बाद देवकी की जितनी भी संतान होती, कंस उन्हें तुरंत मार देता। ताकि भविष्य में कोई संतान उसका काल ना बन सके। इसी तरह से जब कंस ने देवकी की सात संतान को मार दिया,

  • भगवान श्री कृष्ण कथा । Krishna janmashtami story in hindi

तो देवकी को आठवीं संतान होने की बारी आई। संयोग से उसी दौरान नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था। यशोदा देवकी की स्थिति को देखकर बहुत दुखी थी। इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना जब देवकी की आठवीं संतान हो, तो उसे यशोदा की संतान के साथ बदल दिया जाए,
ताकि उसकी आठवीं संतान कंस के हाथों से बच सके।

संयोग से जब देवकी को उस दिन आठवां पुत्र हुआ तो उसी दिन यशोदा ने एक पुत्री को जन्म दिया। यशोदा की पुत्री नहीं वो एक माया; थी और पुत्र भगवान श्री कृष्ण थे। कृष्ण भगवान ने जन्म लेते ही भगवान का रूप धारण कर लिया और कहा कि उसे इसी समय नंदजी के घर वृंदावन छोड़ और वहां से यशोदा की पुत्री को कारागार में वापिस ले आए।

श्री कृष्ण ने कहा कि जब वो उसे छोड़ने जाएंगे तो कंस के पहरेदार सो जाएंगे, फाटक स्वंय खुल जाएगें। उफनती गंगा स्वंय जाने का रास्ता दे देगी। हुआ भी ठीक वैसा ही। श्री कष्ण भगवान दोबारा से अपने बाल्य रूप में आ गए और यशोदा की बेटी के साथ उनकी अदला बदली कर दी गई।

  • भगवान श्री कृष्ण कथा । Krishna janmashtami story in hindi

इसके बाद कंस को सूचना दी जाती है कि देवकी को पुत्री हुई हैं, जिसे सुनते ही कंस भागा भागा उसे मारने आता है। लेकिन जैसे ही कंस उस पुत्री को उठा कर जमीन पर पटकने की कोशिश करता है, वो पुत्री हवा में उड़ जाती हैं और कंस से कहती है कि तेरा काल रूपी पुत्री तो पहले ही वृंदावन पहुंच चुका है। वही तेरा अंत करेगा। तभी से भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई थी जो आज भी जारी है।

● इस दिन आयोजित की जाती हैं तमाम प्रतियोगिताएं Krishna janmashtami के दिन मंदिरों को सजाने के साथ ही देशभर में बच्चों के लिए तमामप्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। बच्चे उनमें भाग लेते हैं और बहुत सारे इनाम जीतते हैं।

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Krishna janmashtami story in hindi

इस प्रतियोगिता में सबसे मशहूर प्रतियोगिता दही हांडी की प्रतियोगिता को माना जाता है। इसमें किसीऊंचाई वाले स्थान पर एक मटकी में दही हांडी भरकर उसे बांध दिया जाता है, जिसे बच्चों की टोली बारी बारी से तोड़ने की कोशिश करती हैं। जो टोली उस मटकी को तोड़ देती है उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है।

इसी तरह तमाम मंदिरों में इस दिन बच्चे सज धज कर बैठते हैं। मंदिरों के बाहर मेले लगते हैं। उनमे तमाम खेलने कूदने की प्रतियोगिता करवाई जाती है। मंदिरों में आने वाले लोग दान दक्षिणा देते हैं। साथ ही प्रार्थना करते हैं कि उनकी संतान भी भगवान श्री कृष्ण के स्वरूप ही पैदा हो। जो हमेशा बुराई का अंत करे।

Opanion:-

हमें आशा है कि Krishna janmashtami story in hindi के बारे में पढकर  krishna janmashtami 2023 के बारे में अच्छे से पता लगा होगा। आपने Janmashtami vrat kaise kare से जुड़ी जानकारी भी हासिल की होगी। हमें उम्मीद है कि आप आने वाली krishna janmashtami 2023 को धूम धाम के साथ मनाएंगे।

                          ———Stay happy नमस्‍कार——- 

धन्यवाद

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