कागावा बना जापान का गांधी। kagawa Bna Japan Ka Gandhi

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कागावा बना जापान का गांधी-kagawa Bna Japan Ka Gandhi

kagawa Bna Japan Ka Gandhi: जापान के एक युवक कागावा Toyohiko kagawa के मन में बचपन से ही दीन-दुखियों के प्रति बहुत संवेदना थी। उसने यह तय कर लिया था कि बड़ा होकर वह समाजसेवा करेगा।

 

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कागावा बना जापान का गांधी-kagawa Bna Japan Ka Gandhi

kagawa Bna Japan Ka Gandhi: जापान के एक युवक कागावा Toyohiko kagawa के मन में बचपन से ही दीन-दुखियों के प्रति बहुत संवेदना थी। उसने यह तय कर लिया था कि बड़ा होकर वह समाजसेवा करेगा।

 
जब पढ़ाई समाप्त हो गई तो कागवा ने अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य पीड़ितों की सेवा को माना। कागवा अशक्त, बूढ़े, बीमार, पिछड़े या रोगग्रस्त लोगों की यथासंभव सेवा और सहायता करने लगा । कागावा ने अपनी आजीविका चलाने के लिए दो घंटे का एक काम हाथ में लिया।

इस नौकरी से वह अपनी आवश्यकताएं पूरी कर लेता। अपने सेवा कार्यो के कारण धीरे-धीरे कागावा जापान में बहुत  लोकप्रिय होता गया। इससे प्रभावित होकर एक जापानी सुशिक्षित युवती ने कागावा के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रख दिया।

 
कागावा यह सोचकर पहले तो तैयार नहीं हुआ कि इस जापानी युवती से  विवाह कर लेने से गृहस्थी की जिम्मेदारियों को पूरा करने में उसका सेवा संकल्प पिछड़ जाएगा, किंतु युवती ने उससे वादा किया कि वह भी उसके साथ मिलकर सेवा कार्य करेगी।

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युवती ने भी अपनी गृहस्थी ठीक से चलाने के लिए दो घंटे का एक काम खोज लिया। शेष समय वह पति के साथ जापान में रहने वाले  समाज के कमजोर वर्ग के लिए कार्य करती। दोनों के सम्म‍िलत  प्रयासों से उनके सेवा क्षेत्र का दायरा बढ़ा और सरकार तथा संपन्न वर्ग भी उनकी मदद के लिए आगे आए।

 
कागावा और उसकी पत्नी ने इस मदद को समाज के कमजोर तबके के लिए विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग किया। इस प्रकार कागवा ने  जापान के दबे-कुचले,असहाय,निर्बल लोगों की अनेक प्रकार से मददकी और इस प्रकार जापान प्रगति के पथ पर बढ़ता रहा, जापान को विकसित राष्ट्र बनाने में कागावा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।  इसलिए उन्हें जापान का गांधी कहा गया।

सार यह है कि चाह से ही राह खुलती है। निजी दायित्वों के साथ कुछ समय व साधन समाजहित पर भी व्यय करें, तो समग्र विकास के लक्ष्य को पाना आसान हो जाता है।
Team – Positivebate

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