घोडा एवं बकरा जिदगी में कामयाब होने की सीख देती कहानी
Ghoda aur bakra ki shikshaprad kahani hindi mein: दोस्तों कैसे हैं आप सभी,उम्मीद है कि आप सभी बहुत अच्छे होंगे आज आपको इस कहानी के माध्यम से जीवन में काम आने वाली बहुत बडी सीख मिलेगी यह कहानी है एक शहर में रहने वाले युवक की उस युवक के पास एक घोड़ा (ghoda) था,जिसे उसने बचपन से पाला था, वह घाेडा उस युवक को बहुत प्यारा था,वह उसे बहुत प्यारा था. जब व्या
पार घोडे पर चढ़कर शहर में निकलता था तो सभी उसके घोडे को ही देखते रहेत थें.एक उस युवक का घोड़ा (ghoda) बहुत ज्यादा बीमार पड़ गया वह कुछ भी खा पी नही रहा था. कुछ समय पहले उस युवक ने एक बकरा (bakra) भी खरीदा था, दोनो आस-पास ही बधे रहते थे.घोड़े को बीमार देखकर युवक बहुत ज्यादा परेशान था उसने पशु डॉक्टर को बुलाया डॉक्टर साहब ने आने के बाद घोड़े को अच्छी प्रकार से देखा और व्यपार से कहा कि हम इसे 3 दिन की दवाई देकर देखते है.
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अगर यह 3 दिन की दवाई से ठीक हो गया तो अच्छा है नहीं तो इसे मारना पड़ेगा क्योंकि इसे बहुत गंभीर बीमारी है और इस बीमारी का खतरा आपके दूसरे जानवरों का भी हो सकता है. क्योंकि इसे बहुत गंभीर बीमारी है और इसक बीमारी से दूसरे जानवरो के बीमार होने के चांस है.
Ghoda aur bakra ki shikshaprad kahani hindi mein
युवक और डॉक्टर की बात है दूर खड़ा हुआ बकरा (bakra) भी सुन रहा था,युवक और डॉक्टर के जाने के बाद रात के समय बकरा (bakra) घोड़े के पास आया और बोला मित्र मैंने डॉक्टर और मालिक दोनो की बातें सुनी थी.वे लोग कह रहे थे कि अगर
तुम ठीक नहीं हो पाए तुमको मार दिया जाएगा अगले दिन डॉक्टर साहब युवक के घर आए और उस घोडे को दवाई दे दी और चले गए उनके जाने के बाद बकरा (bakra) घोड़े के पास गया और कहा दोस्त उठो, कोशिश करो, हिम्मत करो नहीं तो तुम को मार दिया जायेगा । परतुं घोडा जरा सा भी हिल नही पाया।
दूसरे दिन नियत समय पर डॉक्टर युवक के घर आए और उन्होंने घोडे को दवाई दी और चले गयें । इसके बाद बकरा (bakra) दोबारा घोडे के पास आया और कहा कि दोस्त जरा सी हिम्मत दिखाओ, उठने की कोशिश करो नहीं तो ये तुम्हें मार देगें । परंतु बकरे के इतने प्रयास के बाद भी वह घोडा उठ नही पाया थक हार बकरा (bakra) वापस अपनी जगह चला गया ।
तीसरे दिन डॉक्टर साहब आए उन्होने घोडे को देखा और चेक किया फिर उन्होंने उसको तीसरी डोज दवाई दी और उसके के बाद अपने घर चले गयें दवाई लेने के उसके बाद भी घोड़े कि स्थति मे कोई सुधार नहीं आया। उसका मालिक बहुत दुखी था. तब डॉक्टर साहब ने उसके मालिक मतलब युवक से कहा कि अब इसको मारना ही सही होगा नहीं तो यह सब बीमारी सभी जानवरों में फैल जाएगी ।
Ghoda aur bakra ki shikshaprad kahani hindi mein
उसके जाने के बाद बकरा (bakra) फिर आया घोड़े के पास गया और उसने घोड़े से फिर कहा तो दोस्त अब तो तुमने सुन ही लिया होगा कि तुम्हें मारने की पूरी तैयारी हो गई है, डॉक्टर ने मालिक से साफ-साफ कह दिया है , कि अब ये ठीक नही हो पायेगे इसको मारना ही सही होगा.
अब बकरे ने पूरी जान लगाकर दोस्त तुम्हें मरना नही है, तुम थोडी सी कोशिश करों, हां- हां बहुत अच्छा, बहुत अच्छा कर रहे हो, उठो तुम उठ सकते हो, चल सकते हो सकते हो इस तरह से उस बकरे ने घोडे को उठाने में अपनी पूरी जान लगा दी और बकरे की जोशीली बातें सुनकर घोड़े के मन में ऊर्जा,जोश और ताकत भर गयी और
कुछ ही समय बाद घोडा उठ गया और धीरे धीरे चलने लगा कुछ समय बाद ही घो्डा तेजी से आहते में चक्कर काटने लगा हिनहिनने लगा, इतने में उसक मालिक उसकी आवाज सुनकर अपने कमरे से बाहर आया और इस दृश्य को देखकर व्यापारियों खुशी से झूम उठा, वह बहुत खुश हो गया था आखिरकार उसको घोडा ठीक हो गया आखिर युवक उसकी चिंता में ना जाने कितने रातों से सोया नहीं था ।
आज उसको ठीक हालत में देखकर खुशी का ठिकाना नहीं था और खुशी व्यक्त करते हुए चिल्लाने लगा मेरा घोडा ठीक हो गया उसकी आवाज सुनकर उसक पूरा परिवार अपने पूरे घर के मेंबरों बाहर निकल आये और उन सबको देखकर उसने कहा कि आज कई दिनों बाद हमारा घोडा ठीक हो गया, इसलिये कल पूरे महोल्ले को हम पार्टी देगें .
इस पर उसके परिवार ने पूछा किस चीज की पार्टी दोगे. यह सुनकर युवक ने खुश होते हुये एवं बकरे की तरफ देखकर बोला कि, कल पूरे महोल्ले की बकरा (bakra) पार्टी होगी ।
सीख: दोस्तो आज की इस युवक का घोडा और बकरे (Ghoda aur bakra ki shikshaprad kahani hindi mein) की कहानी आपको आवश्य पंसद आयी होगी औ साथ ही इस कहानी से मिलने वाली बहुमूल्य सीख यह है कि बिना मांगे सलाह नही देनी चाहिये, वरना कभी दूसरो की भलाई के चक्कर में अपना खुद का नुकसान हो जाता है.
उम्मीद हैं आपको हमारा यह कहानी पसंद आयी होगी और इस घोडे ओर बकरे की कहानी से आपको सीख मिली होगी, इस प्रकार के अन्य लेख प्राप्त करते रहने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे।
धन्यवाद।
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