। डाकु अंगुलिमाल और भगवान गौतम बुद्ध ।
Gautam buddha and angulimal story in hindi: एक व्यक्ति था जिसका नाम था गारगेय और उसकी पत्नी का नाम था मैत्रायाणी था, जब वह गर्भवती थी तब उसको देखकर किसी महापुरुष व्यक्ति ने कहा कि यह जो बच्चा आपके पेट में है यह बहुत महान ज्ञानी बनेगा या एक बहुत बड़ा डाकू बनेगा और इस डर से कि बच्चा डाकू ना बन जाए उन्होंने उस बच्चों को जन्म देने के बाद उसको एक गुरुकुल में एक अच्छे आश्रम में पढ़ाई के लिए भेज दिया उस बच्चे का नाम का था अहिसंक —angulimal daku
अहिंसक गुरुकुल में पढ़ता था, बहुत होनहार बहुत कुशल बहुत समझदार और बिल्कुल तेज प्रखर बुद्धि का था जिसके कारण वहां पर जो और जो बडे घरो के बच्चे थें वे उस बच्चे से जलने लगे और उसके बारे में नई-नई साजिशे और झूठ बोल बोल कर के अपने गुरु से उसके बारे में झूठी बातें बताने लगे. वे सब कहते थें कि गुरुजी ,
यह लड़का झूठ बोलता है..
और चोरी करता है..
इस तरह की बातें करके उसके ऊपर आरोप लगाने लगे और उसको उस आश्रम से बाहर निकलवा दिया जब वह बाहर निकाल दिया. आश्रम से अपने घर आते समय बीच में जगंल पडता था, वहा से गुजरते समय उसको कुछ डाकुओं ने पकड लिया उस समय वह छोटा बच्चा सिर्फ 8 साल का था ।
डाकू अंगुलिमाल और भगवान गौतम बुद्ध । Gautam buddha and angulimal story in hindi
उन डाकुओं ने उस बालक को बहुत मारा पीटा और उससे अपनी सेवा करवाने लगे थे, वह बच्चा उन्हीं के साथ रहते रहते वह भी डाकू लुटेरे जैसी बातें करने लगा और वह बड़ा हो गया और 16 साल का हो गया एक बार उसने देखा कि सब डाकू सो रहे थे तभी उसने कसम खाई कि मैं इन सब बातों को मारूंगा उसने सोते-सोते सारे डाकुओं को मार दिया और तभी उसने यह प्रतिज्ञा ली कि अब मुझे 1000 लोगों को मारना है.
यह मेरी प्रतिज्ञा है और उसने 1000 के चक्कर में उसने 999 लोग मारे जब भी किसी व्यक्ति को मारता था तो उसकी एक उंगुली निकाला लेता था,जिस कारण उसका नाम पड़ गया था. अंगुलिमाल (angulimal daku) के डर से आस-पास के गांव गांव खाली हो गये थें. लोग घर छोड़कर जाने लगे थें.
एक बार क्या हुआ कि भगवान बुध ( Lord Gautama Buddha) किसी गांव मे गये. गांव में प्रवचन देने के बाद वह पहाड़ी की तरफ चलने लगें तो गांव के लोगों ने कहा कि भतें (Gautama Buddha) एक वहा एक बहुत बडा बदमाश,डाकू रहता है और वह आपकी भी नही छोडेगा बेशक आप एक महापुरुष हो इसलियेे……..
अगुंलिमाल डाकू की कहानी । angulimal daku ki kahani hindi
हम आपसे विनती करते हैं आप उधर ना जाए वह आपको भी नहीं छोडेगा अब तक उसने 999 लोगों को मार दिया अब उसे केवल एक आदमी की तलाश है, जिसको मारकर एवं उसकी अगंली काटकर उसके 1000 व्यक्तियो को मारनेे की अपना प्रण पूरा कर लेगेंंउ इसलिये अब उसकी मां ने भी उससे मिलना बंद कर दिया है.
अब उसकी मां को भी डर लगने लगा है कि कहीं वह मुझे ही ना मार दे, ऐसा ना हो कि वह अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिये मुझे ही निशाना ना बना ले, अब तुम समझ सकते हो कि जब एक मां अपने बच्चे से डरने लग जाए तो वह अगुंलिमाल कि खतरनाक होगा.
लेकिन गौतम बुध (Gautama Buddha) ने कहा कि उसको अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिये केवल एक आदमी की जरूरत है ना इसलिये उसके भले के लिये में वहा जााउंग । अब मैं अपने आप को नहीं रोक सकता ……
अब मुझे अवश्य जाना होगा क्योंकि तुम लोग अगर उसको समझ सको तो समझो, अब तक उस अगुंंलिमाल न जाने कितने लोग मारे और अब वह एक आदमी की तलाश में है, और एक आदमी उसको नहीं मिल रहा है जिसके कारण वह बहुत पेरशान है ………..
डाकू अंगुलिमाल और भगवान गौतम बुद्ध । Gautam buddha and angulimal story in hindi
और मैं चाहता हूं कि मे वहा जाऊं क्योंकि मेरे जाने से उसकी प्रतिज्ञा/ उसने जो कसम ली है वह पूरी हो जाएगी. मुझे अपने शरीर से जो पाना था वह सब पा लिया है लेकिन जो उसकी एक कसम है वह तो पूरी हो जाए अब तो मैं जरूर जाऊंगा मुझे जाना ही होगा ।
अब गांव वाले गौतम बुध (Gautama Buddha) को बुरा कहने लगे उनके बारे में गलत सोचने लगे यह कैसे भगवान है हमें प्रवचन देते हैं और आज खुद ऐसा काम कर रहे हैं, वे वहां जा रहे हैं अगुंंलिमाल उनकी चिंता नहीं करेगा,इनकी फिक्र नहीं करेगा और इनको मार देगा.
गौतम बुद्ध ने उनकी एंव अपने अनुयायियों की बात सुनकर अनसुनी कर दी और कहा कि मुझे जाना ही होगा. आप मेरे चक्कर में ना पड़ें और भगवान बुध ( Lord Gautama Buddha) गौतम बुध अगुंलिमाल की तरफ चल दिए चलते-चलते वह पहाडी पर उस गुफा की तक पहुचं गये, वही गुफा के बाहर अंगुलिमाल (angulimal daku)अपने फरसे को धार लगा रहा था.
अगुंलिमाल डाकू की कहानी । angulimal daku ki kahani hindi
अंगुलिमाल (angulimal daku) देखा कि एक महात्मा/ऋषि एक महान व्यक्ति जिसके मुख पर तेज है, जो पीले वस्त्र पहनकर मेरी चला आ रहा है और उसने दूर से ही उन्हे आवाज दी और कहा आप कौन हो और आप यहां पर क्यों आए हो क्या आपको गांव वाले ने नहीं रोका, मेरे बारे मे नही बताया, चलो कोई बात नहीं….
मैं तुमको एक साधु महात्मा समझकर मैं छोड़ देता हूं. आप जाओ यहां से …………
यह सुनकर महात्मा बुद्ध बोल मेरी बारे में जानने के चक्कर में मत पडो मैं कौन हूं,
कहां से आया हूं..
मेरी बातों को मत सुन..
जो तेरा अपना काम है उसे कर ले, मेरी बातों में पड़ेगा तो उलझ जाएगा क्योंकि अक्सर महात्मा व्यक्ति की बातों को आप सुनोगे सुनोगे तो आप समझ नहीं पाओगे…..
डाकू अंगुलिमाल और भगवान गौतम बुद्ध । Gautam buddha and angulimal story in hindi
इस पर अंगुलिमाल (angulimal daku) ने फिर भी उसने बोला तुम जाओ पता नहीं क्यों मुझे तुम पर दया आ रही है तुम जाओ गौतम बुध ( Lord Gautama Buddha) ने बोला मैं तेरे दया का भिखारी नहीं हूं,जो तुझे करना है कर डाल मेरी बातों में मत पड अगर मेरी बात सुनेगा तो उलझ जाएगा गौतम बुद्ध ने कहा….
इस पर अंगुलिमाल ने गौतम बुध को बोला ठहर जाओ.
इस पर बुद्ध बोले तुम कहते हो ठहर जा,तुम्हे लगता है कि मैं चल रहा हूं लेकिन मेरी तरफ तो तुम चलकर आ रहे हो. और तुम कह रहे हो कि ठहर जा मैं तो रुका हुआ हूं, में तो कब का ठहरा हुआ हूं, ( तु कब ठहरेगा )….
इस पर अंगुलिमाल (angulimal daku) कहता है कि लगता है तुम पागल हो…
गौतम बुध ने कहा मैं फिर कहता हूं जो तुझे करना है कर ले मेरी बातों में मत पड..
फिर उसने बोला कि मैंने बहुत लोगों को मारा है, कुछ लोगों को चलकर मारा है, बहुत लोगों से युद्ध करके मारा है लेकिन तुम एक ऐसे पहले व्यक्ति हो जो खुद मरने के लिए मेरे पास आए हो.
चलो ठीक है अब मैं यह काम भी कर देता हूं वह उठा और गौतम बुध को मारने के लिए चला गौतम बुध्द ने कहा जब किसी को मारा जाता है तो उसकी अंतिम इच्छा पूरी की जाती है, तुम मेरी इच्छा पूरी नही करोगें .
अगुंलिमाल डाकू की कहानी । angulimal daku ki kahani hindi
उनकी बात सुनकर अंगुलिमाल (angulimal daku) बोला कि बताओं तुम्हारी क्या इच्छा है, बुद्ध बोले यह पेड़ जो खडा पास में इसके कुछ पत्ते तोड़ कर मुझे दे दो.
यह सुनकर गौतम बुध कहने लगे तुमने मेरा आधा काम कर दिया है आधा काम और कर दो.. वापस इस शाखा को उसी पेड़ पर लगा दो अंगुलिमाल (angulimal daku) कहने लगा अब तो मुझे लगता था कि तुम पागल हो लेकिन अब तुम ने यह सिद्ध कर दिया कि तुम वाकई में पागल पहले…..
तुम चल रहे थे, और कह रहे थे कि मैं मैं तो कब का ठहरा हुआ हूं, और में ठहरा हुआ हूं और तुम मझे कह रहे हो ठहर जा
अब तुमने कहा पेड़ के पत्ते काट कर लाओ मै काटकर लेकर आ गया तो अब तुम कह रहे हो इस शाखा को दोबारा वही लगा दो,जबकि मैंने शाखा का काट दिया कही कटी हुई शााखा भी दोबारा से पेड पर लग सकती है.
डाकू अंगुलिमाल और भगवान गौतम बुद्ध । Gautam buddha and angulimal story in hindi
इस पर बुद्ध बोले कि यदि पेड़ की शाखा कट कर वापस नहीं रख सकती तो फिर तूने जो इतने लोग मारे हैं यह तूने कोई महान काम किया है……. मारना तो कोई भी कर सकता है……..
एक छोटा बच्चा भी कर सकता है….
तूने कभी एक पीला पत्ता हरा किया है ???
तूने कभी एक सूखा पत्ता हरा किया है?????
तूने कभी कुछ चींटी बनाई है???
बनाने का काम महान होता है मारना मिटाना यह छोटा काम है.. यह कोई भी कर सकता है तू सोचता है कि बहुत बड़ा डाकू है तू कुछ नहीं है बस तभी अंगुलिमाल (angulimal daku)कट गया उसको लगा कि हां.. मैंने गलती की है क्योंकि
गौतम बुध की अपने आबोहवा,प्रकाश के प्रकाश से अगुलिमाल प्रभावित हो रहा था जिसके कारण वह महात्मा बुद्ध के उसका नीचे गिर गया और गौतम बुध ने उसको माफ कर दिया हैं, अपनी की गयी गलतियो के लिये उसने बुद्ध से माफी मांगी और बोला भगवान मुझे बताओ मुझे क्या करना होगा. महात्मा बुद्ध उसको अपने साथ लेकर चल दिये.
अगुंलिमाल डाकू की कहानी । angulimal daku ki kahani hindi
अंगुलिमाल (angulimal daku) गौतम बुध का शिष्य बन गया तो भगवान बुध ( Lord Gautama Buddha) के जो भी अन्य शिष्य थे, वह सब भगवान बुद्ध से कहने लगे भंते यह चालबाज है कि यहां पर आकर आपको भी मार देगा और हम सब को मारेगा यह इसकी चालाकी है यह ढोंगी है…….
यहां पर आया तो है सिर्फ दिखाने के लिए कि अब में बदल गया, लेकिन यह चालबाजी से हम सब को मार देगा गौतम बुध ने कहा नहीं,अब यह तुम्हारी तरह मेरा शिष्य बन गया है इसने जो भी पाप किए हैं वह सब दूर हो गये है अब यह भी आपकी तरह एक निर्दोष है.
जब अंगुलिमाल (angulimal daku) से बुद्ध भगवान ने गांव से भिक्षा मांगकर लाने को कहा तो उसके जाने से पहले ही आस-पास के गांव में चारों तरफ यह खबर आग की तरह फैल गई थी कि अंगुलिमाल (angulimal daku)ने गौतम बुध के चरणों में अपने आप को समर्पित कर दिया है और अब वह भी भगवान बुद्ध का शिष्य बन गया है.
लेकिन लोगों ने उसे डंडे से बहुत मारा, जब भी वह किसी गांव में भीख मांगने जाता था, उससे बदला लेने के लिए गांव वालाे ने उसे बहुत पीटा, गौतम बुद्ध ने कहा अब तुम उस गांव में जाओ वह वहां पर गया तो वहां पर छोटे बच्चे ने उस अंगुलिमाल (angulimal daku)डाकू को एक भिक्षा दी,जब उसने भिक्षा ग्रहण करी तो वह बोला बेटा तुम्हारे ऊपर तुम्हारे माता-पिता का संरक्षण बना रहे आशीर्वाद बना रहे इतनी बात सुनकर बच्चा रोने लगा, अंगुलिमाल ने पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो.
इस पर उस छोटे बच्चे ने कहा कि मेरे माता-पिता अंगुलिमाल (angulimal daku)डाकू ने मार दिया था मेरे मां-बाप इस दुनिया में नहीं है, इस बात को सुनकर दुखी होकर वह आ गया और बुद्ध के चरणाे में गिर गया, और कहा मैं बहुत दुखी हूं मैं बहुत बड़ा पापी हू…
वहां जाते ही उसका सिर अपनी गोद में रखते हैं और पूछते हैं अंगुलिमाल (angulimal daku)तुम्हें अब कैसा लग रहा है उसने कहा भंते मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और मैं इस चीज के लिए बहुत आभारी हूं कि मैं आपके सानिध्य में हूं और आपके चरणों में हूं और इतना कहकर वह अपने प्राण त्याग देता है क्योंकि उसकी 3 दिन 4 दिन लगातार उसकी इतनी पिटाई हो चुकी थी कि उसका शरीर में कुछ नहीं बचा था,वह मर गया गौतम बुद्ध के गोद में अपना सर रख कर के अपने प्राण त्याग देता है.
महात्मा बुद्ध बोले कि इसने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया है, मोक्ष को प्राप्त कर लिया है अब यह इस धरती पर कभी भी नहीं आएगा यह बुद्ध को उपलब्ध हुआ है मेरी तरह इसने अपना जन्म पूरा कर लिया है अपने दुख सारे भोग लिए इस बात को सुनकर भगवान बुद्ध के जो शिष्य थे वह सब कहने लगे…….
भंते हमें आपके साथ रहते हैं 10 साल हो गए हैं……
12 साल हो गए हैं………
हमें अभी तक बुद्धत्व ज्ञान प्राप्त नही हुआ है तो इसने 4 दिन 5 दिन में कैसे प्राप्त कर लिया. तब उन्होने कहा कि कहा कि जब कोई छोटा पाप करता है तो छोटा प्रेषित करता है लेकिन इसने बहुत बड़े-बड़े पाप किए थे और जितना बड़ा पाप किया है,इतना बड़ा है कि और उसने अपनी मृत्यु को मोक्ष के रूप में दान किया है और अब यह कभी भी इस धरती पर नहीं आने वाला बन गया है…
In opanion: दोस्तो हमें पूरी उम्मीद हैं, कि आपको आज की डाकू अंगुलिमाल और भगवान गौतम बुद्ध । Gautam buddha and angulimal story in hindi कहानी जरूर पंसद आयी होगी,आपके कमेंट और सुझावों का स्वागत है।
———Stay happy नमस्कार——-
धन्यवाद
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