bina vichare jo kare kahani hindi; दोस्तो आपने सुना होगा कि bina vichare jo kare kahani hindi काम उसको बाद में बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है. काशी में प्रतापमुकुट काशी में प्रतापमुकुट नाम का राजा राज्य करता था। उसके वज्रमुकुट नाम का एक बेटा था। एक दिन राजकुमार दीवान के लड़के को साथ लेकर शिकार खेलने जंगल गया। घूमते–घूमते उन्हें तालाबमिला। पानी में कमल खिले थे और हंस किलोल कर रहे थे। किनारों पर घने पेड़ थे, जिन पर पक्षी चहचहा रहे थे। दोनों मित्र वहाँ रुक गये और तालाब के पानी में हाथ–मुँह धोकर ऊपर महादेव के मन्दिर पर गये। घोड़ों को उन्होंने मन्दिर के बाहरबाँध दिया। वो मन्दिर में दर्शन करके बाहर आये तो देखते क्या ……..
कि तालाब केकिनारे राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथस्नान करने आई है। दीवान का लड़का तो वहीं एक पेड़ के नीचे बैठा रहा, पर राजकुमार से न रहा गया। वह आगे बढ़ गया। राजकुमारी ने उसकी ओर देखा तो वह उस पर मोहित हो गया। राजकुमारी भी उसकी तरफ़ देखती रही। फिर उसने जूड़े में से कमल का फूल निकाला, कान से लगाया, दाँत से कुतरा, पैर के नीचे दबाया और फिर छाती से लगा, अपनी सखियों के साथ चली गयी।
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- राजकुमार ने पूछा, “कैसे?” वह बोला, “उसने कमल का फूल सिर से उतार कर कानों से लगाया तो उसने बताया कि मैं कर्नाटक की रहनेवाली हूँ।
- दाँत से कुतरा तो उसका मतलब था कि मैं दंतबाट राजा की बेटी हूँ।
- पाँव से दबाने का अर्थ था कि मेरा नाम पद्मावती है
- और छाती से लगाकर उसने बताया कि तुम मेरे दिल में बस गये हो।”
bina vichare jo kare kahani: दोनों मित्र वहाँ से चल दिये। घूमते–फिरते, सैर करते, दोनों कई दिन बाद वहाँ पहुँचे। राजा के महल के पास गये तो एक बुढ़िया अपने द्वार पर बैठी चरखा कातती मिली। उसके पास जाकर दोनों घोड़ों से उतर पड़े और बोले, “माई, हम सौदागर हैं। हमारा सामान पीछे आ रहा है। हमें रहने को थोड़ी जगह दे दो।”
उनकी शक्ल–सूरत देखकर और बातसुनकर बुढ़िया के मन में ममता उमड़ आयी। बोली, “बेटा, तुम्हारा घर है। जब तक जी में आए, रहो।” दोनों वहीं ठहर गये। दीवान के बेटे ने उससे पूछा, “माई, तुम क्या करती हो? तुम्हारे घर में कौन–कौन है? तुम्हारी गुज़र कैसे होती है?”
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अगले दिन जब बुढ़िया राजमहल गयी तो उसने राजकुमार का सन्देशा उसे दे दिया। सुनते ही राजकुमारी ने गुस्सा होंकर,हाथों में चन्दन लगाकर उसके गाल पर तमाचा मारा और कहा, “मेरे घर से निकल जा।”
बुढ़िया ने घर आकर सब हाल राजकुमार को कह सुनाया। राजकुमार हक्का–बक्का रह गया। तब उसकेमित्र ने कहा, “राजकुमार, आप घबरायें नहीं, उसकी बातों को समझें???
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तीन दिन बीतने पर बुढ़िया फिर वहाँ पहुँची। इस बार राजकुमारी ने उसे फटकार कर पच्छिम की खिड़की से बाहर निकाल दिया। उसने आकर राजकुमार को बता दिया। सुनकर दीवान का लड़का बोला,
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bina vichare jo kare kahani: समय आने पर उसने बुढ़िया की पोशाक पहनी, इत्र लगाया, हथियार बाँधे। दो पहर रात बीतने पर वह महल में जा पहुँचा और खिड़की में से होकर अन्दर पहुँच गया। राजकुमारी वहाँ तैयार खड़ी थी। वह उसे भीतर ले गयी। अन्दर के हाल देखकर राजकुमार की आँखें खुल गयीं। एक–से–एक बढ़कर चीजें थीं। रात–भर राजकुमार राजकुमारी के साथ रहा। जैसे ही दिन निकलने को आया कि राजकुमारी नेराजकुमार को छिपा दिया और रात होने पर फिर बाहर निकाललिया। इस तरह कई दिन बीत गये।
अचानक एक दिन राजकुमार को अपने मित्र की याद आयी। उसे चिन्ता हुई कि पता नहीं
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