भविष्य और अतीत कल्पित हैं। Bhavishya Aur Atit :एक वृद्ध व्यक्ति हवाई जहाज से सिडनी जा रहा था. बीच के एक एयरपोर्ट पर एक नौजवान भी उसमें सवार हुआ. उस नौजवान के बैग को देखकर लगता था कि वह शायद किसी बीमा कंपनी का मुलाजिम था. नौजवान को उस वृद्ध व्यक्ति के पास की सीट मिली. कुछ देर चुपचाप बैठे रहने के बाद उसने वृद्ध से पूछा, “सर, आपकी घड़ी में कितना समय हुआ है?” bhavishya aur atit kalpit samay hai .
वृद्ध कुछ देर चुप रहा, फिर बोला, “माफ़ करें, मैं नहीं बता सकता”.
नौजवान ने कहा, “क्या आपके पास घड़ी नहीं है?”
उस बूढे व्यक्ति ने कहा, “घड़ी तो रखता हूं में, लेकिन मैं आगे की सोच भी रखता हूं. आगे की भी सोचता हूं, उसके बाद ही कुछ करने का निर्णय लेता हूं. अभी तुम मुझसे समय पूछोगें क्या टाइम हो रहा है और में अपनी घड़ी में समय देखकर बता दूगा. उसके बाद हम दोनो में वार्तालाप शुरू हो जाएगी .
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उसके बाद तु कहोगें कि आप कहां जा रहे है, में तुम्हारे को जबाव दूगा कि में सिडनी जा रहा हूं. तुम बोलोगे कि में भी वही जा रहा हूं.
आप किस सोसाइटी में रहते है, तो में तुम्हें अपनी सोसाइटी के बारे में बताऊंगा.
उसके बाद शष्टिाचार के नात मुझे तुमसे बोलना पड़ेगा कि कभी अगर उधर से गुजरो तो हमारे यहां भी आ जाना.
संयागवश मेरे घर में मेरी एक नौजवान और सुंदर लड़की है. तुम अगर मेरे घर आऊगें तो तुम्हारे अंदर उसके प्राति आकर्षण पैदा हो जायेगा.
फिर तुम उसे बाहर घुमाने ले जाआंगे ओर
होटल में खााना खिलाओगें और हो सकता
कि उसे फिल्म दिखाने भी ले जाओं ओर संभवत मेरी बेटी भी राजी हो जाये.
और कुछ समय बाद यह बाते आगे चलकर प्यार में बदल जायेगी और
मुझे सोचना पडेगा कि में अपनी लड़की की शादी एक बीमा कंपनी के साधारण से एंजेट से करू,
क्योकि मुझे बीमा एंजेंट बिल्कुल भी पंसद नहीं है. इसलिये मुझ पर रहम करो और दोबार टाइम मत पूछना.
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उस वृद्ध की बातें सुनकर उस नौजवान ने आपना सिर पकड लिया ओर सोचने लगा कि मेने तो सिर्फ समय पूछा था , इन महाशय ने तो पूरी फिल्म ही बना दी.
हम सबको इस वृद्ध व्यक्ति की बात पर हसी आयेगी लेकिन हम सब इसी तरह के है.
हमारा मन लगातार बदलता रहता हें,
पल में वर्तमान में पल में भविष्य में पहुंच जाता है,
ओर जब हम भविष्य के बारे में सोचते है,
तो वह बहुत कुछ इस व्यक्ति की तरह ही सोची गयी बातो की तरह बे सिर-पैर की बातें होती है.
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क्योकि भविष्य कुछ नहीं है,
जो कुछ आप सोचते है वह केवल कल्पना मात्र ही है.
जो भी आप सोचते विचारते है वह सब कल्पना ही है,
जो आप विचारते है वह इतना ही व्यर्थ और पोल कपोल है.
जेसे इस व्यक्ति का इतना छोटी सी सवाल पर इतना अधिक सोचना.
इसके लिये एक शब्द ही कहा जा सकता है, बिन सिर पैर के सोचना.
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हम ज्यदातर वर्तमान में रहते नहीं है और तुरत ही भविष्य की बाते सोचने लगते है, जो पल हमारे पास है हमारे सामने है हम उसमें रह नहीं पाते लेकिन यह पल ही वास्तकि पल है. भूतकाल और भविष्यकाल इन दोनेा के बीच में मनुष्य का मन (चेतना) वर्तमान से अपरिचित रह जाती है.
भविष्य और भूत दोनो मनुष्य की ईजाद है, इस संसार की सत्ता मं उनका कोई अस्तित्व नहीं है.
भूत ओर भविष्य दोनो की कल्पना की गयी है, ये वास्तविक नहीं है, असली समय तो केवल वर्तमान है, जो वर्तमान के इस पल को जीता है, वो ही सत्य की गहराई तक पहुच सकता है, क्यांकि वर्तमान का क्षण ही वह द्धवार है, जो आपको भूत और भविष्य में भटकाता रहता है, वह सपने के रूप हो सकता है, स्मृति में भटक सकता है, लेकिन उसका सत्य से कभी साक्षात्कार संभव नहीं है.
In Opanion: दोस्तो आपको आज की यह भविष्य और अतीत कल्पित हैं। Bhavishya Aur Atit hindi story कैसी लगी, क्या आपने इस भविष्य और अतीत कल्पित हैं। Bhavishya Aur Atit से कुछ Moral प्राप्त किया यदि हां, तो आप Comment Box के माध्यम से आपने अनुभव पाठको के साथ जरूर शेयर करें.
अच्छा दोस्तो मिलते है अगली बार किसी ऐसी ही Inspirational Story,Motivational कहानी के साथ,तब तक के लिये Stay happy,नमस्कार,जय हिंद.
warms & regards
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