bhaiya dooj ki kahani in hindi:भाई–बहन का बीच प्रेम का अटूट त्यौहार भैया दूज जो है। बहुत से भाईयों के घरों पर उनकी बहनें आ चुकी होगी,ओर बहुत से भाई अपनी बहनों के घर उनके भाई पहुंच चुके होगे।
हैलो दोस्तों स्वागत है आपका अपनी बेबसाईट पॉंजिटव बातें पर कैसे है आप सभी उम्मीद है बहुत बढिया होगे,और अभी तक दीवाली केत्यौहार का असर बरकरार होगा,
असर तो तब तक बरकरार ही रहेंगा जब तक हमारे आपके घरों की झालरे,सजावाट की लाइटें हम आप लोग अपने आप उतार नहीं लेगे।
ये रोशनी का त्यौहार है ही ऐसा जिसमें उमंग,उत्साह, सभी भावनाऐं अपने आप पैदा हो जाती है। परंतु ठहरियें कही हम बातें करते हुए आज कुछ Miss तो नहीं कर रहें है ????????
और जो भाई-बहन अभी अपनी जिंदगी के सुनहरे पल अपने मम्मी-पापा के पास बिता (विधार्थी जीवन) रहे होंगे उनके घर पर तो इसी बात का झगडा चल रहा होगा भाई मुझे क्या उपहार देगा,बिलकुल सही समझा आपने आज.
bhaiya dooj ki kahani in hindi भाई–बहन का बीच प्रेम का अटूट त्यौहार भैया दूज जो है। बहुत से भाईयों के घरों पर उनकी बहनें आ चुकी होगी,ओर बहुत से भाई अपनी बहनों के घर उनके भाई पहुंच चुके होगे।
और भाई की Planning होगी कि दीदी को छोटा से उपहार दे दूगा और बाकी पैसा बचा लूगां।
दोस्तों जिंदगी में ये Golden Moments का खूब खुलकर जीना चाहियें क्योकि बाद में
गृहस्थ जीवन में आने के बाद ये यादें ही रह जाती है.bhaiya dooj ki kahani in hindi
क्याकि आज के व्यस्त समय में कभी बहनों का समय नही मिल पाता और कभी भाईयों की
भाई-बहन के अटूट प्यार का त्यौहार है भैया-दूज यह त्यौहार भाई-बहन के स्नेह को और मजबूत करता करता है। दीपावली के दो दिन बाद पूरे भारत वर्ष में यह त्यौहार मनाया जाता है।
भैया-दूज को भातृ द्धितीया भी कहते हैं। इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पवित्र संबंध व प्रेमभाव की स्थापना करना है। इस दिन बहनें बेर के पेंड की पूजा करती हैं।
इस दिन बहनें भाइयों के लंबी उम्र के लिये उनके माथे पर टीका करती है गोला, मिश्री,मिठाई खिलाई जाती है। इस दिन ये भी मान्यता है.
कि यदि बहनें भाइयों को तेल लगाकर अपने घर में स्नान भी कराती हैं.
या गंगा अथवा यमुना में स्नान कराती है तो उनकी लंबीआयु होती है।
भैया-दूज की ये कथा हमें भाई-बहन के बीच अटूट प्यार का सदेश देती है। ये कहानी हमें अप्रत्यक्ष रूप से आपस में लबे समय तक जोडे रखती है।
भैया दूज और रक्षांबधन ये दो प्रमुख त्यौहार भाई-बहन के बीच अटूट प्यार का संदेश देते है। भैया दूज और रक्षाबंधन दोनों की अलग-अलग प्राचीन कथाऐं है।
इनमें से एक त्यौहार रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है।
दूसरा त्यौहर भाई-दूजका (bhaiya dooj ki kahani in hindi)होता है।
इसमें बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास की
द्धितीय को मनाया जाता है।
भैया दूज की कथा:-
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी (bhaiya dooj ki kahani in hindi).
वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा।
कार्तिक शुक्ला का दिनआया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।भैया दूज की कथा:-
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्धभावना से मुझे बुला रही है.
उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नर्क निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया।
भैया दूज की कथा:-
यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया।
यमुना द्वारा किएगए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे,
उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता।इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
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