आख‍िरी पड़ाव । aakhiri padav । guru ki sikh story in hindi best 1

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आख‍िरी पड़ाव 

aakhiri padav:guru ki sikh story in hindi: दोस्‍तो आपने सुदरबन का नाम तो सुना ही होगा ना यह पश्चिम बंगाल में गंगा नदी का डेल्‍टा है, जहां पर राष्ट्रीय बाघ का क्षेत्र है, इस इलाके में रहने वाले गांव वाले गांव वालो को हमेशा सी एक जानवारों का डर बना रहता था, मुख्‍यत: जब गांव के लोग जंगल के अंदर अपने राजमर्रा के कार्यो में प्रयाग होने वाले लकड़ी लेने जाते थें.              guru ki sikh story in hindi

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तो कई बार जगली जानवर उन पर आक्रमण कर देते थें,खासतौर पर यह इलाका क्‍यांकि बाघ के लिये संरक्षति रहता है, इसलिये बाघ के के हमले का ज्‍यादा डर रहता था, इस कारण गांव के लडकों को पेडों पर फुर्ती से चढने और उतरने की ट्रनिंग लेना आवश्‍यक होता था. इन लडको पेडों पर फुर्ती से चढ़ने-उतरने की ट्रनिंग गांव के ही एक अनुभवी उम्रदराज व्‍यक्‍ति देते थें. गांव के इन उम्रदराज व्‍यक्‍ति का अपनी कला में बेजोड माने जाते थें, और इस कारण आस-पास इलाके में उनका नाम था.

आख‍िरी पड़ाव । aakhiri padav

सभी गांव वाले उन्‍हें सम्‍मानपूर्वक बावा कहते थें. उनके पास लड़को की भीड लगा रहती थी, वह सभी लडको को ग्रपों में विभाजित करके ट्रेनिग देते थें, आज एक ग्रुप का वे  पेड़ पर फुर्ती/तेजी से चढ़ने-उतरने की विधा सीख रहे थें, आज का दिन उस Group के लडको का Training का आखरी दिन था.

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चढ़नाबाबा बोले- आज आपके ट्रेनिग का आखिरी द‍िन है, मेरी यह इच्‍छा है. कि तुम सभी युवक एक बार इस चिकने और लबे पेड़ पर फुर्ती से चढकर और उतकर दिखाओं.

ये मेरा आदेश है.

सभी लड़के अपने गुरु का आदेश को लेकर काफी उत्‍साह‍ित थें और अपने हुनर दिखाने के लिये तैयार हो गये.

सबसे पहले एक नौजवान सामने आया और गुरु (बावा) को प्रणाम करके फुर्ती से पेड़ पर चढ़ना शुरू कर दिया और देखते-देखते उस लम्‍बे और चिकने पेड़ की सबसे ऊची चोटी पर पहुचं गया.

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आख‍िरी पड़ाव । aakhiri padav

और उसके बाद उसने वापस उतरना शुरू कर दिया. और जब वह पेड़ की ऊचाई के आधी ऊचाई तक सफलतापूर्वक उतर आया था, तभी उसके कानों में चढ़नाबाबा (गुरू) की कडक आवाज उसके कानों मं पड़ी.

होशियार,………..

सावधान………….

जरा ध्‍यान से…………..

आराम से नीचे उतरों…………

जल्‍दीबाजी ब‍िल्‍कुल नहीं…….

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कोई परेशानी नहीं है,

पर सावधानी बरतते हुये नीचे उतरों……………

चढ़नाबाबा लगतार उस लड़के को यह आदेश देते जा रहे थें,

आखिरकार वह लड़का सफलतापूर्वक नीचे उतर आया

उसके बाद बाकी सभी लड़के भी पेड़ पर सफलतापूर्वक तेजी और फुर्ती से चढ़ते और उतरते गयें.

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सभी लडकों हर बार आधा उतरने पर वही सावधान,होश‍ियार रहने और आराम से उतरने का आदेश चढ़नाबााबा से मिलता रहा.

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सभी लड़के सावधानीपूर्वक अपनी ट्रनिग का पूरा कर चुके थें, परंतु उनके मन में बाबा के आदेश को लेकर कुछ प्रश्न घूम रहे थें, और उन्‍ही लड़को में से एक ने आखिरकार चढ़नाबाबा से पूछ ही लिया.

बाबा हम सब लडको का आपकी एक बात समझ नहीं आयी कि पेड़ का सबसे मुश्‍क‍िल, और कठ‍िन हिस्‍सा तो सबसे ऊपर था.

जहां पर चढ़ना और उतरना बहुत ही मुश्किल था, तब तो आपने हमें होश‍ियार/सावधान होने के लिये नहीं कहा, परंतु जब हम पेड़ की आधी ऊचाई तक उतर आये और बाद का हिस्‍सा उतरना एकदम आसान था.

तब आपने हमें होश‍ियारी पूर्वक,धीरे-धीरे उतरने के लिये कहा, कोई जल्‍दीबाजी नहीं है, आराम से उतरों इस तरह के निर्देश दिये, ऐसा क्‍यों…………..

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चढ़ना बाबा बहुत ध्‍यान से उन लड़के का प्रश्‍न सुन रहे थें, और उनकी जिज्ञासा को समझ गये थें,

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बाबा ने शांत और गंभीर होते हुए बोले, बेटे यह तो तुम सब बहुत अच्‍छी तरह जानते थें, कि पेड़ का सबसे कठ‍िन हिस्‍सा ऊपर वाला था, इसलिये तुम सब अपने आप बिना किसी निर्देश के वहां पर सर्तक (Alert) थें.

और पूरी सावधानी बरतते थें. लेकिन जैसे ही हम अपने लक्ष्‍य (वापस नीचे धरती पर आना) के नजदीक पहुँचने लगते है, तो वह हमें बहंत आसान और सरल लगने लगता है. और………

हम जोश में और आति आत्‍म-विश्‍वास में आ जाते है, कि अब तो हम सफल (वापस नीचे धरती पर आना) होने ही वाले है.तो ठीक इसी क्षण सबसे ज्‍यादा गलती होने के चांस होते है.

और आप अपने लक्ष्‍य को पाने में Fail हो सकते हो.

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यही कारण है कि मैने तुम सभी को पेड़ की आधी ऊचाई उतर आने के बाद ही होश‍ियार,सावधान किया,जिससे कि तुम लक्ष्‍य के निकट आकर कोई गलती ना कर दों.सभी लड़के अपने गुरु की बेशकीमती सीख को बहुत अच्‍छी तरह समझ गये थें और आज उन्‍हें बहुत बडी सीख मिल गयी थी.

इसलिये दोस्‍तो जिदंगी में सफल होने के लिये लक्ष्‍य का बनाना बहुत जरूरी है, और उससे भी ज्‍यादा और ध्‍यान देने वाली बात यह है,कि जब हम अपने लक्ष्‍य को हासिल करने के बिल्‍कुल करीब पहुच जाये. और मंजिल(Goal) बिल्‍कुल सामने ही हो, तो ज्‍यादा सावधानी और धैर्य के साथ अपने कदम आगे बढाएं.

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क्‍योकि दोस्‍तो ज्‍यादातर लोग अपने लक्ष्‍य,मजिंल के एकदम पास पहुचकर अपना धैर्य,संयम (patience)खो देते है और गलती कर बैठते है, जिस कारण वे अपने लक्ष्‍य,गोल को प्राप्‍त करने से वचिंत रह जाते है.

इसलिये मंजिल के आखि‍री पड़ाव पर भी पहुँचकर किसी भी तरह की लापरवाही मत बरतिए और लक्ष्‍य,गोल को प्राप्‍त करके ही दम लीजिये.

In Opanion: दोस्‍तो आपको आज की यह कहानी आख‍िरी पड़ाव । aakhiri padav कैसी लगी, क्‍या आपके भी इस तरह के कुछ अनुभव है कि किस प्रकार आप भी लक्ष्‍य के पास पहुचकर असफल हो गये तो कृप्‍या Comment Box  में जाकर अपने अनुभव शेयर करें, अपनी त्रुटि को पाठकों के साथ शेयर करेक उनको पहले ही सावधान कर दीजिये, जिससे आप भी उनके गुरु बन जायें.

अच्‍छा दोस्‍तो म‍िलते है अगली बार क‍िसी ऐसी ही Inspirational Story,Motivational कहानी के साथ,तब तक के ल‍िये Stay happy,नमस्‍कार,जय हिंद.

warms & regards 

पॉंजिटव बातें 

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