बोधिधर्म और सम्राट वू । Bodhidharma Aur Samrat In Hindi:
Bodhidharma Aur Samrat In Hindi : बोधिधर्म (Bodhidharma) का जन्म दक्षिण राज्य के पल्लव राज्य में हुआ था ,इनके पिता का नाम सुगंध था, ये अपने मां-बाप की तीसरी संतान थें.इन्होने काफी कम उम्र में गृह-त्याग कर दिया था, और बौद्ध भिक्षु बन गयें थें
.बोधिधर्म (Bodhidharma) एक भिक्षु होने के साथ एक बहुत पहुचे हुये योगी भी थें, इनका अधिकाशं समय ध्यान में ही बीता था, इन्हे औषधियो का बहुत गहरा ज्ञान था, ये मार्शल आर्टस के जनक थें.इन्होने अपनी चीन तक यात्रा समुद्री मार्ग से पूरी की थी, इन्होने बौद्ध धर्म को चीन तक पहुचाया था, ये बौद्ध परंपरा के अनुसार अंतिम गुरू हुये थें.
पुराने समय में चीन एक महान सम्राट वू थे ,सम्राट को पहुचे हुये परम ज्ञानी बोधिधर्म (Bodhidharma) के बारे में मालूम हुआ तो वह उनसे मिलने उनके पास पहुचां और कहा के में बहुत परेशान रहता हूं,
मेरा मन बहुत ज्यादा विचलित रहता है, अशाांति से भरा हुआ है, लगातार मेरे अंदर एक बैचेनी छायी रहती है, में इससे बहुत परेशान हूं, कृपया मुझे थोडी सा शाांति प्राप्त करने का ज्ञान दे दे, या मुझे कोई गुरूमंत्र दे दे, जिससे में मौन हो जाऊ.
बोधिधर्म और सम्राट वू । Bodhidharma Aur Samrat In Hindi
बोधिधर्म ने सम्राट से बोला कि आप सुबह-सुबह यहां आ जाइयें, जब यहां कोई भी ना हो, आप सुबह 4 बजें यहां आ जाईयें उस समय यहां कोई नहीं होगा, और मैं यहां अपने झोपड़े में अकेला होउंगा, और
इस बात का विशेष ध्यान रखना कि अपने साथ अपने अशाांत मन को जरूर साथ लेकर आना, उसे महल में ही ना छोड आना सम्राट बहुत ज्यादा डर गया उसने सोचा कही ये आदमी सिरफिरा तो नहीं है,
कही ये पागल तो नहीं हो गया है, यह कहता है कि अपने बैचेन मन को अपने साथ लेकर आना, महल में मत छोड आना वरना में किसको शांत करूगां. में तुम्हारे बैचेन,अंशात मन को जरूर ठीक कर दूगां पर उसे साथ लेकर जरूर आना.
ये सब बातें सम्राट को कुछ अटपटी लगी. इस बात को सोच-सोचकर सम्राट पहले से भी अधिक परेशान हो गया और उसका मन और भी ज्यादा अंशाात हो गया. वह तो सोच रहा था कि और ऋषि,मुनियों की तरह वह भी उसे कोई मंत्र-तत्रं बता देगा जिससे उसका भला हो जायेगा, पर ये तो कुछ अलग ही तरह का संत है.
लेकिन उसकी यह बात समझ नहीं आ रही है कि मन को महल में छोडकर आना, यह तो बिल्कुल अर्थपूर्ण बात है,ऐसा भी कही संभव है, कोई अपने मन को महल में कैसे छोड के आ सकता है.
बोधिधर्म और सम्राट वू । Bodhidharma Hhistory In Hindi
ये ही सारी बातें सोचते-सोचते सम्राट सारी रात सा नहीं सका, बोधिधर्म की बडी-बडी खें और जिस तरीके से उसने सम्राट को देखा था, उससे वह सम्मोहन में आ गया था, ऐसा लगता था कि मानो कोई
जादुई शक्ति उसे अपनी और खीच रही हो, सम्राट सारी रात करवटे बदलता रहा उसे नींद नहीं आई। और भोर में चार बजे वह बोधिधर्म के पास जाने के लिये तैयार हो गया। हांलाकि वह जाना नहीं चाहता था,
बोधिधर्म और सम्राट वू । Bodhidharm Powers
क्योंकि सम्राअ बोधिधर्म (Bodhidharma) को पागल समझ रहा था,और वो भी इतने सुबह-सुबह अंधेरे में जाना भी खतरनाक था,जबकि वहां काई भी नहीं होगा, यह आत्मघाती था. उसने सोचा यह आदमी कुछ भी कर सकता है।
परंतु फिर भी कोई अदृश्य शक्ति उसे खीच रही थी, और वह गया क्यांकि वह बोधिधर्म (Bodhidharma) से बहुत प्रभावित था,
बोधिधर्म ने सबसे पहले सम्राट से पूछा कि-अच्छा तो तुम आ ही गये.. बोधिधर्म (Bodhidharma) अपने झोपडी में मोटा सा डंडा लिये बैठा था, सम्राट ने कहा जी महाराज
बोधिधर्म (Bodhidharma) ने कहा-कहा है तुम्हारा बैचेन,अशांत मन ? उसको साथ लेकर आये हो ना ? मैं तो आज उसे ही शांत करने के लिये बैठा हूं।’ सम्राट बोले: लेकिन बौद्ध यह कोई वस्तु नहीं है. जो में आपको दिखा सकूं। में इसे अपने साथ लेकर नहीं आ सकता… ये तो मेरे अंदर है…
मैं इसे अपने हाथ में नहीं ले सकता; यह मेरे भीतर है।’तब बोधिधर्म बोले अच्छा बहुत अच्छा अब तुम अपनी आंखें अच्छी तरह बंद कर लो और अपने मन को खोजने की कोशिश करो, अपने अंशात मन को अपने अंदर खोजों.
बोधिधर्म और सम्राट वू । Bodhidharma Aur Samrat In Hindi
तुम ही तो बता रहे हो ना कि अंशात मन तुम्हारे अंदर है.. जैसे ही तुम उसको पकड लो, तुरंत आखें खोल देना और में उसको उसी समय बहुत अच्छी तरह से शांत कर दूगां.उस सुबह के अंधरे में और वो भी एक पागल के साथ,
अब सम्राट परेशान हो गया था, उसे बार-बार बोधिधर्म (Bodhidharma) का डंडा उसकी बडी बडी आंखें दिखाई दे रही थी, उसने अपने मन को अपने अंदर ढूढने की बहुत चेष्टा की, बहुत प्रयत्न कर रहा था और इसके साथ-साथ उसे बोधिधर्म (Bodhidharma) के डंडे का डर भी था पता नहीं कब चोट कर दे। उस कारण वह जागरूक भी था.
सम्राट अपने भीतर अपन मन को खोजने की बहुत कोशिश कर रहा था, अपने रोम-रोम में, सब जगह खोजा,प्राणों के कोने कोने में बहुत खोजा कि कहां है वह अंशात मन जो मुझे इतना परेशान कर रहा है.
और जितना ही ज्यादा उसने जागरूक होकर देखा तो तो उसे ज्ञान हुआ कि मन की अशांति तो जा चुकी है, उसने अपने मन को खोजा, वहां कोई मन नहीं था उसे शाति सी महसूस होने लगी, छाया की तरह उसका मन विलीन हो गया था.
बोधिधर्म और सम्राट वू । Bodhidharma Aur Samrat In Hindi
2 घंटे बीत चुके थें और उसे इसका पता नहीं चल पाया कि इस सारी प्रकिया में क्या-क्या हो गया. उसके साथ क्या हो रहा था। अब तो उसका चेहरा बिल्कुल शांत हो गया था.
उसका चेहरा बिल्कुल बुद्ध की प्रतिमा जैसा लग रहा था. जब सूर्योदय होने ही वाला था तब बोधिधर्म (Bodhidharma)ने कहा अब आखें खोलो सम्राट । इतना पर्याप्त है, दो घंटे पर्याप्त से अधिक हैं।
क्या अब तुम बता सकते हो कि तुम्हारा अंशात मन अब कहा है. सम्राट वू ने आपनी आखें खोली । वह इतना अधिक शांत था जितना कि कोई मनुष्य हो सकता है। उसने बोधिधर्म के पैरो पर अपना शीश छुका दिया और कहा कि आपने उसे शाांत कर दिया .
बोधिधर्म और सम्राट वू । Bodhidharma Aur Samrat In Hindi
सम्राट वू ने अपनी आत्मकथा में लिखते है कि यह व्यक्ति अदभुत,चमत्कारिक है. इसने कुछ किए बिना कुछ किये ही मेरे अशांत मन को बिल्कल शांत कर दिया. और मुझे कुछ भी अतिरिक्त करना भी नहीं पडा.
सिर्फ मैं अपने शरीर के भीतर गया और शरीर के कोने-कोने, रोम-रोम, अपने पूरे शरीर की हरेक जगह गया और यह खोजा कि मेरा मन कहा है।
बोधिधर्म ने बिल्कुल सही कहा था कि पहले अपने मन को खोजो की वह कहा है,और में उसे खोजने में लग गया और यह खोज ही काफी थी. अपने मन को शांत करने की।
In Opanion:
तो दोस्तो आपका आज की यह बोधिधर्म (Bodhidharma) और सम्राट वू “Bodhidharma Aur Samrat In Hindi” की कहानी कैसी लगी,कृप्या Comment Box मे जाकर अपना अनुभव बताये.हमें आपके सुझावों,राय का स्वागत करते है.
अच्छा दोस्तो मिलते है अगली बार किसी ऐसी ही Inspirational Story,Motivational कहानी के साथ,तब तक के लिये Stay happy,नमस्कार,जय हिंद.
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